गुजरात में भी विधायक काटते सेवा का मेवा, 5 साल में 231% बढ़ी संपत्ति
देश की राजनीति में सेवा भाव कब का खत्म हो चुका है। वो विशुद्ध रूप से धंधा बन चुकी है, वह भी जनधन की लूट का। इसे एक बार फिर साबित किया है गुजरात विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों ने। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की तरफ से सजाए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक राज्य की नई विधानसभा में 99 विधायक ऐसे हैं जो 2007 में भी विधायक थे। इनकी औसत संपत्ति बीते पांच सालों में 2.20 करोड़औरऔर भी
मर्म जानो, धर्म तो समझो बाज़ार का
यह सच है कि इंसान और समाज, दोनों ही लगातार पूर्णता की तरफ बढ़ते हैं। लेकिन जिस तरह कोई भी इंसान पूर्ण नहीं होता, उसी तरह सामाजिक व्यवस्थाएं भी पूर्ण नहीं होतीं। लोकतंत्र भी पूर्ण नहीं है। मगर अभी तक उससे बेहतर कोई दूसरी व्यवस्था भी नहीं है। यह भी सर्वमान्य सच है कि लोकतंत्र और बाजार में अभिन्न रिश्ता है। लोकतंत्र की तरह बाजार का पूर्ण होना भी महज परिकल्पना है, हकीकत नहीं। लेकिन बाजार सेऔरऔर भी
आइडिया में दम है, पर पूंजी कहां है?
जो भी पैदा हुआ है, वह मरेगा। यह प्रकृति का चक्र है, नियम है। ट्रेन पर सवार हैं तो ट्रेन की होनी से आप भाग नहीं सकते। कूदेंगे तो मिट जाएंगे। यह हर जीवधारी की सीमा है। इसमें जानवर भी हैं, इंसान भी। लेकिन जानवर प्रकृति की शक्तियों के रहमोकरम पर हैं, जबकि इंसान ने इन शक्तियों को अपना सेवक बनाने की चेष्ठा की है। इसमें अभी तक कामयाब हुआ है। आगे भी होता रहेगा। मगर, यहांऔरऔर भी
घर में निर्वासित
आज़ादी के पहले और इतने सालों बाद भी जिन हिंदुस्तानियों ने अंग्रेज़ी को अपनाया, विकास और उन्नति का हर रास्ता उनके लिए खुल गया। बाकी लोग निर्वासित हैं। अपनी माटी को दुत्कारती यह कैसी व्यवस्था है जिसे हम ढोए चले जा रहे हैं?और भीऔर भी
दलाल या दलित
तंत्र औपनिवेशिक किस्म का हो तो सत्ता से बाहर के सारे लोग या तो दलाल होते हैं या दलित। दलित कोई जाति नहीं। सवर्ण, अवर्ण कुछ नहीं। विकास के अवसरों से जो भी वंचित हैं, वे सभी दलित हैं।और भीऔर भी
पूंजी होगी 20 साल में 38.34 गुना!
सरकार के सबसे बड़े योजनाकार और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने अनुमान जताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था या जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में अगले बीस सालों तक औसतन 8 से 9 फीसदी की दर से विकास होता रहेगा। आपको याद ही होगा कि जुलाई-सितंबर 2011 की तिमाही में हमारा जीडीपी मात्र 6.9 फीसदी बढ़ा है। पूरे साल का अनुमान 7.25 से 7.50 फीसदी का है। मोटेंक ने शुक्रवार को भुवनेश्वर विश्वविद्यालय में एक भाषणऔरऔर भी