पूंजी होगी 20 साल में 38.34 गुना!

सरकार के सबसे बड़े योजनाकार और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने अनुमान जताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था या जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में अगले बीस सालों तक औसतन 8 से 9 फीसदी की दर से विकास होता रहेगा। आपको याद ही होगा कि जुलाई-सितंबर 2011 की तिमाही में हमारा जीडीपी मात्र 6.9 फीसदी बढ़ा है। पूरे साल का अनुमान 7.25 से 7.50 फीसदी का है।

मोटेंक ने शुक्रवार को भुवनेश्वर विश्वविद्यालय में एक भाषण के दौरान कहा, “मुझे लगता है कि बहुत अच्छी संभावना इस बात की है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले 20 सालों में 8 से 9 फीसदी के बीच की किसी दर से सालाना विकास करेगी।” उन्होंने इस आशावाद का कोई साफ कारण या आधार तो नहीं बताया, लेकिन अगर ऐसा होता है कि समझ लीजिए कि शेयर बाजार में आपकी पूंजी अगले 20 सालों में 38.34 गुना हो सकती है।

इसका सीधा-सा गणित इस प्रकार है। आम सिद्धांत या धारणा है कि किसी देश का जीडीपी जिस दर से बढ़ता है, वहां के कॉरपोरेट क्षेत्र की विकास दर उससे ढाई गुना होती है। इसका मतलब कि अगर हमारे जीडीपी की विकास दर 8 फीसदी रहेगी तो कॉरपोरेट क्षेत्र सालाना 20 फीसदी की दर से बढ़ेगा। दीर्घकालिक रूप से कॉरपोरेट क्षेत्र की यह विकास दर शेयर बाजार की बढ़त की दर बन जाती है। इसलिए मोंटेक के मुंह में घी-शक्कर रहा तो भारतीय शेयर बाजार अगले 20 सालों में 20 फीसदी की औसत सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ेगा।

और, चक्रवृद्धि दर के कमाल से आप पूरी तरह वाकिफ नहीं है। पिछले दिनों में हमने आपको बताया था कि एक रुपया अगर हर दिन 100 फीसदी बढ़ता जाए, मतलब एक का दो, दो का चार, चार का आठ… तो 30 दिन बाद यह रकम 107 करोड़ रुपए हो जाती है। 100 फीसदी की चक्रवृद्धि दर एक रुपए को महीने भर में 107 करोड़ बना देती है। यकीन नहीं आता तो खुद गिनकर देख लीजिए।

मोंटेक के बयान से निकली गणना करें तो अभी अगर आप शेयर बाजार में 100 रुपए लगाते हैं और बाजार 20 फीसदी सालाना की चक्रवृद्धि दर से 20 साल बाद यह 3833.76 रुपए हो जाएगा। इसमें भी अगर आप एसआईपी (सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान) के जरिए नियमित अंतराल पर बराबर निवेश करते रहें तो अंतिम रकम कुछ और गुना हो सकती है। बाजार में निवेश करना है तो चक्रवृद्धि दर के कमाल को मन में अच्छी तरह बैठा लेना चाहिए। तभी हम शॉर्ट टर्म की सोच से निकलकर लांग टर्म के निवेश की तरफ बढ़ सकते हैं। शेयर बाजार में निवेश निश्चित रूप से बहुत ज्यादा जोखिम से भरा है। लेकिन लांग टर्म निवेश के दौरान इनमें से तमाम जोखिम अपने-आप ही बेअसर हो जाते हैं।

अंत में दुनिया में वॉरेन बफेट की टक्कर के निवेशक जॉर्ज सोरोस की एक सलाह जो उन्होंने गुरुवार को हैदराबाद के इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) में लोगों को दी। उनका कहना था, “दुर्भाग्य से यह वक्त सुरक्षित खेलने का है। बाजार संतुलन से बहुत-बहुत दूर हैं। भावी दिशा का अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है। जब तक हम आगे बढ़कर आनेवाली घटनाओं का सही अनुमान न लगा सकें, तब तक अपना धन गंवाने से बेहतर यही होगा कि हम कुछ न करें।” सोरोस की बात का सार यह है कि जब तक कोई माध्यम या बाजार पूरी तरह समझ में न आ जाए, तब तक उसमें अपना धन नहीं लगाना चाहिए। ध्यान रखें कि लालच व डर निवेश को ग्रसने वाले राहु और केतु हैं। इनसे बचते हुए अगर आप गुरु या बुद्धि-विवेक का सहारा लेकर निवेश करेंगे तो बड़े से बड़ा शनि भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। बाकी मस्त रहें, मौज करें।

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