मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसां हो गईं – ग़ालिब का ये शेर अभी तक अपुन पर पूरा फिट नहीं बैठा है। कारण, मुश्किलें तो पड़ती जा रही हैं, लेकिन आसां नहीं हो रहीं। इस चक्कर में फिर से आपकी सेवा में हाज़िर नहीं हो पा रहा। एक वजह यह भी है कि पेड सर्विस शुरू करने का मन नहीं बना पा रहा हूं। मेरा मानना है कि ज्ञान किसी की बपौती नहीं है और इसेऔरऔर भी

एमसीएक्स की लिस्टिंग शुक्रवार 9 मार्च को रही है। शेयरों का आवंटन, मूल्य दायरे के ऊपरी छोर 1032 रुपए पर किया गया है। खुद एमसीएक्स और उसकी प्रवर्तक कंपनी फाइनेशियल टेक्नोलॉजीज में खुशियां छाई हुई हैं। लिस्टिंग के दौरान सेबी के नए नियम के मुताबिक 9 से 10 बजे तक इसमें एक घंटे का प्री-ओपन सेशन होगा जिसमें बोलियों के माध्यम से इसका मूल्य खोजा जाएगा। इस दौरान कोई सर्किट सीमा नहीं होगी। लेकिन फिर 10 बजेऔरऔर भी

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर विभाग को निर्देश दिया है कि वह ऐसे लोगों द्वारा किए गए निवेश, जमा और बड़े खर्चों की खासतौर पर जांच करे, जो आयकर नहीं देते या इन सौदों को करते वक्त जिन्होंने अपने पैन नंबर नहीं दिए हैं। निर्देश के मुताबिक आयकर विभाग इसके लिए 20 जनवरी से 20 मार्च तक विशेष अभियान चलाएगा। विशेष अभियान के तहत आकर अधिकारी बड़ी रकम का लेनदेन करने वालों के परिसरों काऔरऔर भी

विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) तो भारत में धंधा करने के लिए आए हैं। काम खत्म, पैसा हजम। कमाई हो गई, निकल लिए। उनके मूल देश में कुछ गड़बड़ हुई तो अपना आधार बचाने निकल पड़े। यूरोप-अमेरिका के मामूली से घटनाक्रम पर भी वे बावले हो जाते हैं। इसलिए जो निवेशक एफआईआई का अनुसरण करते हैं, वे यकीनन समझदार होने के बावजूद परले दर्जे की मूर्खता करते हैं। लेकिन माना जाता है कि एलआईसी या यूटीआई म्यूचुअल फंडऔरऔर भी

तमाम विशेषज्ञ कहते फिरते हैं कि आम निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश केवल म्यूचुअल फंडों के जरिए करना चाहिए। एक बार पुरानी नौकरी के दौरान राकेश झुनझुनवाला से आम निवेशकों के लिए नए साल के निवेश पर सलाह मांगने गया था तो उन्होंने ऐसा ही दो-टूक जवाब दिया था। ये लोग पुराने जमाने के ओझा-सोखा की तरह कहते हैं कि बडा कठिन है किसी आम निवेशक के लिए सीधे शेयरों में निवेश करने की समझ हासिलऔरऔर भी

सामाजिक जीवन और प्रकृति में बिंदासपना चलता है। बल्कि सच कहा जाए तो जो रिस्क उठाते हैं, जीवन का असली आनंद वही लोग उठा पाते हैं। महाभारत में कृष्ण यही तो मनोभूति बना रहे होते हैं, जब वे अर्जुन से कहते हैं कि युद्ध में जीत गए तो धरती के सुखों का भोग करोगे और वीरगति को प्राप्त हो गए तो स्वर्ग का आनंद लूटोगे। लेकिन यह मानसिकता शेयर बाजार में नहीं चलती। यहां भावना में आंखऔरऔर भी

कभी सोचा है आपने कि हर निवेशक वॉरेन बफेट बनना चाहता है और भारत ही नहीं, दुनिया भर में हजारों लोग वॉरेन बफेट की तरह निवेश करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उनमें से इक्का-दुक्का ही यह हुनर और कामयाबी हासिल कर पाते हैं। इसका कोई जादुई नहीं, सीधा-सरल कारण है। पहले कुछ उदाहरणों पर नजर। उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट में जो निवेश किया, वह 38 सालों में 73 गुना हो गया। कोकाकोला में अपना निवेश उन्होंनेऔरऔर भी

पैसे का कोई पेड़ नहीं लगता कि गए और तोड़कर आ गए। यह किसी भी दौर के व्यापकतम सामाजिक अंतर्संबंधों में व्याप्त विनियम मूल्य का मूर्त स्वरूप है। यह सोमनाथ के ऐतिहासिक मंदिर में शिव की मूर्ति की तरह हवा में लटका हुआ दिख सकता है। लेकिन इसका पोर-पोर किसी न किसी ने दांतों से दबा रखा है। अंग्रेजी में कहावत है कि कहीं कोई फ्री लंच नहीं होता। इसलिए शेयर बाजार को पैसा बनाने का आसानऔरऔर भी

कंस्ट्रक्शन कंपनियों के शेयरों ने भले ही पिछले एक साल में निवेशकों को 55 फीसदी का नुकसान कराया हो, लेकिन अब वे ऐसे मुकाम पर आ गए हैं जहां इनमें किए गए निवेश पर 25 फीसदी या इससे ज्यादा भी रिटर्न मिल सकता है। यह कहा है प्रमुख रेटिंग एजेंसी से संबद्ध क्रिसिल रिसर्च ने अपनी ताजा रिपोर्ट में। सोमवार को जारी इस रिपोर्ट में क्रिसिल रिसर्च ने खास तौर पर पांच कंस्ट्रक्शन कंपनियों का जिक्र कियाऔरऔर भी