मंगलवार से द हिंदू अखबार में विकीलीक्स के सहयोग से किए जा रहा खुलासा आज, गुरुवार को संसद में हंगामे का सबब बन गया। हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2008 में यूपीए की पिछली सरकार को बचाने और विश्वास मत हासिल करने के लिए सांसदों 50 से 60 करोड़ रुपए दिए गए थे। इस मसले पर विपक्ष ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को लेकर लोकसभा में भारी हंगामा किया। संसद मेंऔरऔर भी

देश में आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाए जाने के साथ ही यह बात भी सामने आई कि भारत राजनीति में महिलाओं की भागीदारी के मामले में अपने पड़ोसी पाकिस्तान व नेपाल समेत बहुत से देशों से पीछे है। इस मामले में यह दुनिया में 98वें नंबर पर है। विश्व में लोकतंत्र शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के काम में लगे अंतरराष्ट्रीय समूह इंटर पार्लियामेंटरी यूनियन (आईपीयू) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस मामले मेंऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी एमटीएनएल पिछले कुछ समय से जरूरत से ज्यादा स्टाफ होने की वजह से परेशान है। संचार व सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री गुरूदास कामत ने शुक्रवार को राज्यसभा में बताया कि 31 दिसंबर 2010 की स्थिति के अनुसार महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) में कुल 44,046 कर्मचारी हैं। कामत ने बताया कि वर्ष 2007-08 में एमटीएनएल की आय 5330 करोड़ रूपए रही और उसने अपने स्टाफ के वेतन व अन्य बकाये पर 1643औरऔर भी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कडा रूख अख्तियार करते हुए कहा है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले और राष्ट्रमंडल खेल आयोजन में घपला करने वाले किसी भी शख्स को बख्शा नहीं जाएगा और कानून अपना काम करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक जीवन को साफ-सुथरा करने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास करेगी। गुरुवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा पर जवाब देते हुए सिंह ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीएऔरऔर भी

एक तरफ विपक्ष विदेश में रखे एक-सवा लाख करोड़ रुपए के कालेधन पर हल्ला मचा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ देश के भीतर करीब ढाई लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के आयकर की वसूली नहीं हो पाई है। यह किसी और नहीं, खुद सरकार की तरफ से बताया गया है। संसद में सरकार की तरफ दी गई आधिकारिक जानकारी के अनुसार चालू वित्त 2010-11 की शुरुआत में एक अप्रैल 2010 तक देश में कुल बकाया आयकर कीऔरऔर भी

मुद्रास्फीति ऐसा गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है कि इस पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लेकर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और वित्त राज्यमंत्री नमो नारायण मीणा तक बड़ी विनम्रता से बोलते हैं। लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार इतने मुंह-फट हो गए हैं कि लगता ही नहीं कि उन्हें जनता या सरकार किसी की भी प्रतिक्रिया की कोई परवाह है। मंगलवार को पवार ने कहा कि सरकार फल और सब्जियों की कीमतों से कोई लेनादेना नहीं है और वहऔरऔर भी

खाने-पीने की चीजों के दामों में लगातार तेजी से परेशान प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं ने महंगाई को थामने के उपायों पर विचार-विमर्श के लिए आज, मंगलवार को राजधानी दिल्ली में एक उच्चस्तरीय बैठक की। लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। इसलिए विचार-विमर्श का सिलसिला कल भी जारी रहेगा। सूत्रों के मुताबिक कोई नतीजा न निकलने की वजह कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार का अड़ियल रवैया रहा है। इसलिए संभव है कि सरकार अगले फेरबदल में पवार सेऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों को स्वास्थ्य बीमा पर भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। प्रीमियम के रूप में हासिल हर 100 रुपए पर उन्हें 140 रुपए क्लेम व अन्य मदों में खर्च करना पड़ता है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने मंगलवार को राज्यसभा में लिखित बयान में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसी वजह से इन कंपनियों को मेडिक्लेम में दी जानेवाली कैशलेस सुविधा को सीमित करना पड़ा है। बता दें किऔरऔर भी

कॉरपोरेट कार्य मंत्री सलमान खुर्शीद से अप्रैल में जब पूछा गया था कि आईपीएल की फ्रेंचाइची टीमों पर लगे आरोपों के खिलाफ उनका मंत्रालय खुद पहल कर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा तो उन्होंने पलटकर सवाल किया था कि उनके मंत्रालय से स्वतः कार्रवाई क्यों की जानी चाहिए। लेकिन अब खुर्शीद ने संसद में स्वीकार किया है कि आईपीएल की कई टीमों ने कंपनी कानून का उल्लंघन किया है और रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज से उनके खिलाफ दंडात्मकऔरऔर भी