देश में आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाए जाने के साथ ही यह बात भी सामने आई कि भारत राजनीति में महिलाओं की भागीदारी के मामले में अपने पड़ोसी पाकिस्तान व नेपाल समेत बहुत से देशों से पीछे है। इस मामले में यह दुनिया में 98वें नंबर पर है।
विश्व में लोकतंत्र शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के काम में लगे अंतरराष्ट्रीय समूह इंटर पार्लियामेंटरी यूनियन (आईपीयू) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस मामले में दुनिया में भारत 98वें पायदान पर है। भारत में लोकसभा में महिलाओं का सिर्फ 11 फीसदी और राज्यसभा में केवल 10.7 फीसदी प्रतिनिधित्व है। ऐसा तब हो रहा है जब भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। लेकिन यहां निचने सदन लोकसभा के 544 सदस्यों में से सिर्फ 60 महिला प्रतिनिधि हैं जबकि 242 सदस्यों वाले ऊपरी सदन राज्यसभा में महिलाओं की संख्या केवल 26 है।
भारत इस मामले में पाकिस्तान से 47 और नेपाल से 80 पायदान नीचे है। इस साल 31 जनवरी को जारी आईपीयू की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान का विश्व में 51वां स्थान है जहां निचले सदन में 22.2 फीसदी और ऊपरी सदन में 17 फीसदी महिला सांसद हैं। इस मामले में नेपाल की स्थिति काफी बेहतर है और उसने दुनिया में 18वां स्थान हासिल किया है। नेपाल की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 33.3 फीसदी है।
उधर राज्यसभा में आज सभापति हामिद अंसारी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि महिलाओं की समान राजनीतिक व आर्थिक भागीदारी की मांग में काफी कुछ हासिल किए जाने के बावजूद बहुत कुछ करने की जरूरत है। वहीं सदन की कई महिला सदस्यों ने महिला आरक्षण विधेयक को संसद की मंजूरी जल्द दिलाए जाने की मांग की।
सभापति ने पिछले साल नौ मार्च को सदन में महिला आरक्षण संबंधी विधेयक पारित किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वास्तविकता में महिलाएं शिक्षा, रोजगार के अवसर, वेतन और स्वास्थ्य के मामले में असमानता और हाशिये पर धकेले जाने की समस्याओं का सामना करती हैं। बाद में शून्यकाल में विभिन्न दलों की महिला सदस्यों ने लोकसभा में इस विधेयक को जल्द से जल्द पारित कराने पर जोर दिया।