माना जाता है कि किसानों को सरकार मुफ्त में बिजली देती है। लेकिन योजना आयोग की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन सालों में बिजली की दरें सबसे ज्यादा कृषि व सिंचाई में और सबसे कम व्यावसायिक व औद्योगिक क्षेत्र में बढ़ाई गई हैं। यही नहीं, पिछले पांच सालों में कई राज्यों में खेतिहर ग्राहकों के लिए बिजली की दरें दोगुनी से ज्यादा हो चुकी हैं। किसानों के लिए सबसे ज्यादा महंगी बिजली पंजाब में हुईऔरऔर भी

रिजर्व बैंक के मुताबिक भारतीय बैंकों के करीब 9 लाख करोड़ रुपए के ऋण जोखिम से घिरे क्षेत्रों में फंसे हुए हैं। इन क्षेत्रों में टेलिकॉम, बिजली, रीयल एस्टेट, एविएशन व मेटल उद्योग शामिल हैं। ये सभी उद्योग किसी न किसी वजह से दबाव में चल रहे हैं। जैसे, मेटल सेक्टर अंतरराष्ट्रीय कीमतों व मांग के गिरने से परेशान है तो बिजली क्षेत्र बढ़ती लागत व ऊंची ब्याज दरों का बोझ झेल रहा है। धंधे पर दबावऔरऔर भी

पिछले बीस महीनों से कसते ब्याज दर के फंदे ने भले ही मुद्रास्फीति का बालबांका न किया हो, लेकिन औद्योगिक विकास का गला जरूर कस दिया है। खदानों, फैक्टरियों और सेवा क्षेत्र से मिले ताजा आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में मात्र 1.81 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि जानकारों का औसत अनुमान 3.5 फीसदी का था। यह सितंबर 2009 के बाद पिछले दो सालों की न्यूनतम औद्योगिक वृद्धि दर है। सितंबर 2010 में आईआईपीऔरऔर भी

आंध्रा शुगर्स सिर्फ चीनी नहीं बनाती। वह इसके अलावा एल्कोहल व उससे संबंधित रसायन, एस्पिरिन, क्लोरो एल्कली – सल्फ्यूरिक एसिड, सुपर फॉस्फेट व कॉस्टिक सोडा और बिजली तक बनाती है। इन सभी रसायनों से उसे फायदा हो रहा है, जबकि चीनी उसके गले का कंटक बन गई है। वित्त वर्ष 2010-11 के नतीजों के अनुसार चीनी से हुई उसका बिक्री साल भर पहले के 211.42 करोड़ रुपए से 51.75 फीसदी घटकर 102.01 करोड़ रुपए रह गई औरऔरऔर भी

रिलायंस इंडस्ट्रीज की 37वीं सालाना आमसभा (एजीएम) में चेयरमैन मुकेश अंबानी ने उसकी तारीफ के पुल बांध दिए। सब बता डाला कि कितनी बड़ी कंपनी है, बराबर किस शानदार रफ्तार से हर मोर्चे पर बढ़ी है, वर्तमान कितना दमदार है और भविष्य कितना शानदार होगा। मुंबई के न्यू मरीन लाइंस के बिड़ला सभागार में जुटे शेयरधारकों ने तालियां भी बजाईं। लेकिन बाजार को मुकेश अंबानी के वाग्जाल में कुछ दम नहीं नजर आया। कंपनी का शेयर गुरुवारऔरऔर भी

हरियाणा के प्रभावशाली और राजनीतिक रूप से दबंग जिंदल परिवार की कंपनी है जेएसडब्ल्यू एनर्जी। इस्पात इंडस्ट्रीज का अधिग्रहण कुछ महीने पहले इसी समूह की कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील ने किया है। सज्जन जिंदल इसके प्रबंध निदेशक हैं। कंपनी का इरादा बिजली बनाने, भेजने और बांटने से लेकर उसकी ट्रेडिंग तक करने का है। 1994 में बनने के सोलह सालों के भीतर ही वह कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश तक फैल चुकी है। 2000 से बिजली बनानेऔरऔर भी

कृषि कारोबार, सामाजिक क्षेत्र और ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों में हर स्तर के कर्मचारियों के वेतन में 25 से 40 फीसदी तक वृद्धि की जा रही है। इसकी खास वजह है कि इन क्षेत्रों में विकास तेजी से हो रहा है और कंपनियां इससे कर्मचारियों के साथ बांटना चाहती हैं। एग्जीक्यूटिव सर्च फर्म, ग्लोबलहंट के निदेशक सुनील गोयल ने कहा कि कृषि कारोबार, सामाजिक क्षेत्र और ऊर्जा तेजी से बढ़ते क्षेत्र हैं। प्रत्येक क्षेत्र में पिछले सालऔरऔर भी

पेट्रोलियम मंत्रालय ने मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) को एस्सार स्टील जैसे गैर-प्राथमिक क्षेत्र की कंपनियों को गैस की आपूर्ति तत्काल रोक देने का निर्देश दिया है। उर्वरक और बिजली संयंत्रों की ईंधन जरूरत पूरा करने के इरादे से मंत्रालय ने यह आदेश दिया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मई 2010 के हाईकोर्ट की व्यवस्था का हवाला देते हुए मंत्रालय ने पिछले सप्ताह रिलायंस को लिखे पत्र में केजी-डी6 फील्ड से उत्पादित गैसऔरऔर भी

बीजीआर एनर्जी सिस्टम्स मुख्य रूप से बिजली और तेल व गैस परियोजनाओं के लिए इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट व कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) का काम करती है। अभी 4 मार्च को उसे अडानी पावर की तिरोडा (महाराष्ट्र) और कवाई (राजस्थान) की बिजली परियोजनाओं के लिए सीपीयू (कंडेंसेट पॉलिशिंग यूनिट) बनाने का 29.96 करोड़ रुपए का कांट्रैक्ट मिला। इसके तीन दिन बाद 7 मार्च को उसे फिर सरकारी कंपनी पावर ग्रिड कॉरपोरेशन से ऑप्टिक फाइबर ग्राउंड वायर लगाने का 36.61 करोड़ रुपएऔरऔर भी

जापान का परमाणु संकट हाथ से बाहर निकलता दिख रहा है। लगातार धमाकों का शिकार हुए फुकुशिमा परमाणु बिजली संयंत्र के आसपास रेडियोएक्टिव विकिरण का स्तर बढ़ जाने के कारण बुधवार को वहां हालत को संभालने में लगे मजदूरों को भी बाहर निकालना पड़ा। यहां तक कि रिएक्टर संख्या-तीन पर हेलिकॉप्टर से पानी गिराना भी संभव नहीं हो सका। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार बुधवार की सुबह फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के रिएक्टर संख्या-चार में आग लग गई।औरऔर भी