बीजीआर एनर्जी में ऑर्डर की धमधम

बीजीआर एनर्जी सिस्टम्स मुख्य रूप से बिजली और तेल व गैस परियोजनाओं के लिए इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट व कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) का काम करती है। अभी 4 मार्च को उसे अडानी पावर की तिरोडा (महाराष्ट्र) और कवाई (राजस्थान) की बिजली परियोजनाओं के लिए सीपीयू (कंडेंसेट पॉलिशिंग यूनिट) बनाने का 29.96 करोड़ रुपए का कांट्रैक्ट मिला। इसके तीन दिन बाद 7 मार्च को उसे फिर सरकारी कंपनी पावर ग्रिड कॉरपोरेशन से ऑप्टिक फाइबर ग्राउंड वायर लगाने का 36.61 करोड़ रुपए का ऑर्डर मिला।

इन दोनों ही खबरों के बाद कंपनी के शेयर (बीएसई – 532930, एनएसई – BGRENERGY) में खास चाल देखी गई। 4 मार्च को वो बढ़कर 441.40 रुपए पर पहुंचा। लेकिन 7 मार्च तक घटकर 430.85 रुपए पर आ गया। इसके बाद 9 मार्च को ऊपर में 467 रुपए तक चला गया। लेकिन फिर इधर-उधर चलता 21 मार्च को नीचे में 434 रुपए तक गिर गया। कल, 23 मार्च को अचानक इसमें फिर जोश आया है और यह 6.42 फीसदी की बढ़त लेकर 470.80 रुपए पर बंद हुआ है। वोल्यूम भी ठीकठाक रहा। बीएसई में 3.58 लाख शेयरों का जिसमें से 19.06 फीसदी डिलीवरी के लिए थे, जबकि एनएसई में ट्रेड हुए 8.70 लाख शेयरों में 18.96 फीसदी डिलीवरी के लिए थे।

असल में कल से ही बाजार में चर्चा है कि चेन्नई की इस कंपनी को कोई बहुत बड़ा ऑर्डर मिलनेवाला है। इसकी औपचारिक खबर कल तो नहीं आई। आज आ सकती है। इसलिए कहा जा रहा है कि यह बढ़कर खुलेगा। कहां तक जा सकता है? कुछ भी कहना कयासबाजी होगी। हां, यह ए ग्रुप का शेयर है, बीएसई-500 में शामिल है तो इस पर कोई सर्किट लिमिट नहीं है। जानकार बताते हैं कि कुछ हफ्तों में यह 530 रुपए और साल, डेढ़ साल में 680 रुपए तक जा सकता है। लेकिन ध्यान रखिए। यह सिर्फ अनुमान है और शेयरों में कोई गारंटी नहीं होती कि वे कितना बढ़ेंगे। वैसे इसका 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर 402.10 रुपए (28 फरवरी 2011) और उच्चतम स्तर 871 रुपए (8 सितंबर 2010) का रहा है।

हालांकि वित्तीय आधार पर देखें तब भी बीजीआर एनर्जी में निवेश की पूरी गुंजाइश दिखती है। इसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (शुद्ध लाभ प्रति शेयर 46.31 रुपए है। इस तरह मौजूदा भाव पर उसके स्टॉक का पी/ई अनुपात मात्र 10.17 निकलता है। यह वॉरेन बफेट की वैल्यू इनवेस्टिंग के पैमाने पर सही बैठता है। लेकिन बफेट लंबे समय के लिए (कम से कम पांच साल) के लिए निवेश करते हैं। दो-चार महीने में ही पौधे की जड़ उखाड़कर नहीं देखने लगते कि इसकी जड़ कहां तक पहुंची।

कंपनी ने बीते वित्त वर्ष 2009-10 में 3073.78 करोड़ रुपए की आय पर 201.02 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। दिसंबर 2010 की तिमाही में उसकी आय 1256.88 करोड़ और शुद्ध लाभ 87.55 करोड़ रुपए रहा है। साल भर पहले की तुलना में उसकी आय 97 फीसदी और शुद्ध लाभ 109 फीसदी ज्यादा है। 10 फरवरी 2011 को इन नतीजों की घोषणा करते वक्त कंपनी ने बताया कि उसके पास 9317 करोड़ रुपए के ऑर्डर हैं। जाहिर है कि कंपनी की विकास यात्रा काफी तेजी से चल रही है। इसलिए यह ऐसा स्टॉक है जिसमें थोड़े समय के ट्रेडर और लंबे समय के निवेशक दोनों ही दांव लगा सकते हैं।

बता दें कि कंपनी का गठन इसके प्रवर्तक बी जी रघुपति ने 1985 में जर्मन कंपनी जीईए एनर्जीटेक्निक के साथ मिलकर संयुक्त उद्यम के रूप में किया था। तब इसका नाम जीईए एनर्जी सिस्टम (इंडिया) लिमिटेड था। लेकिन 1993 में प्रवर्तकों ने जर्मन कंपनी की सारी हिस्सेदारी खरीद ली। जून 2007 में कंपनी का नाम बदलकर बीजीआर एनर्जी सिस्टम्स कर दिया गया।

कंपनी की चुकता पूंजी या इक्विटी 72.15 करोड़ रुपए है जो 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसका 81.15 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है, जबकि एफआईआई के पास इसके 5.21 फीसदी और डीआईआई के पास 4.49 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 93,026 है। रिलायंस कैपिटल ट्रस्टी कंपनी ने डाइवर्सिफाइड पावर सेक्टर फंड के खाते में इसके 1.42 फीसदी शेयर खरीद रखे हैं।

जाहिर-सी बात है कि प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 81.15 फीसदी होने के चलते या तो उन्हें अपनी हिस्सेदारी घटाकर 75 फीसदी पर लानी पड़ेगी या बाजार से शेयर खरीदकर अपनी हिस्सेदारी 90 फीसदी करने के बाद ओपन ऑफर लाकर कंपनी की डीलिस्ट करा देना होगा। दोनों ही स्थितियों में निवेशकों की पूंजी इसमें बढ़ सकती है। बाकी पैसा आपका, फैसला आपका।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *