पांच सालों में किसानों की बिजली हुई दोगुनी महंगी

माना जाता है कि किसानों को सरकार मुफ्त में बिजली देती है। लेकिन योजना आयोग की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन सालों में बिजली की दरें सबसे ज्यादा कृषि व सिंचाई में और सबसे कम व्यावसायिक व औद्योगिक क्षेत्र में बढ़ाई गई हैं। यही नहीं, पिछले पांच सालों में कई राज्यों में खेतिहर ग्राहकों के लिए बिजली की दरें दोगुनी से ज्यादा हो चुकी हैं।

किसानों के लिए सबसे ज्यादा महंगी बिजली पंजाब में हुई है। वहां 2009-10 तक किसानों को मुफ्त बिजली दी जाती थी। उसने 2010-11 में इसे 65.36 पैसे प्रति यूनिट किया और 2011-12 में सीधे करीब तीन गुना 3.20 रुपए प्रति यूनिट कर दिया। उत्तर प्रदेश में भी किसानों के लिए बिजली इस साल करीब 10 फीसदी महंगी की जा चुकी है। हिमाचल प्रदेश में अब भी किसानों के लिए बिजली मुफ्त है और तमिलनाडु में 4 पैसे प्रति यूनिट की मामूली दर रखी हुई है। लेकिन आंध्र प्रदेश में बिजली की दर जहां 2007-08 में 8.17 पैसे प्रति यूनिट थी, वहीं 2011-12 में यह 32.10 पैसे हो गई। बिहार में यह दर अभी 80.97 पैसे और गुजरात में 176.07 पैसे प्रति यूनिट है।

सरकारी आकलन है कि पिछले पांच सालों में किसानों के लिए बिजली का खर्च करीब 97 फीसदी बढ़ चुका है। जहां 2007-08 में बिजली की बिक्री से होनेवाली आय का 6 फीसदी कृषि क्षेत्र से आता था, वहीं 2011-12 में यह हिस्सा बढ़कर 9 फीसदी पर पहुंच जाने की उम्मीद है। हालांकि कृषि क्षेत्र को अब भी बिजली सब्सिडी का सबसे बड़ा, 85 फीसदी हिस्सा दिया जाता है। लेकिन इसके बढ़ने की दर घटकर 2 फीसदी पर आ गई है, जबकि घरेलू इस्तेमाल की बिजली पर दी जा रही सब्सिडी के बढ़ने की दर 4 फीसदी चल रही है।

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