जापान का परमाणु संकट हाथ से बाहर निकलता दिख रहा है। लगातार धमाकों का शिकार हुए फुकुशिमा परमाणु बिजली संयंत्र के आसपास रेडियोएक्टिव विकिरण का स्तर बढ़ जाने के कारण बुधवार को वहां हालत को संभालने में लगे मजदूरों को भी बाहर निकालना पड़ा। यहां तक कि रिएक्टर संख्या-तीन पर हेलिकॉप्टर से पानी गिराना भी संभव नहीं हो सका।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार बुधवार की सुबह फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के रिएक्टर संख्या-चार में आग लग गई। इससे राजधानी टोक्यो तक विकिरण का स्तर काफी बढ़ गया है। रिएक्टर संख्या पांच और छह को पानी डालकर ठंडा किया जा रहा है। लेकिन हालात ऐसे ही बनते जा रहे हैं कि संयंत्र के सभी रिएक्टर बहुत गरम होने के कारण आग व विस्फोट का शिकार हो जाएंगे।
दिक्कत यह है कि इनमें से किसी एक रिएक्टर में परमाणु ईंधन के रूप में प्लूटोनियम का इस्तेमाल होता है और उसके निकलने की आशंका अब बढ़ गई है। अमेरिकी सरकार की एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, प्लूटोनियम इंसानों के लिए बहुत जहरीला होता है और एक बार किसी तरह खून में पहुंच गया तो सालों तक अस्थि-मज्जा या लीवर में रह सकता है और इससे कैंसर का गंभीर खतरा है।
वैसे, जापान सरकार का कहना है कि फुकुशिमा संयंत्र के गेट के बाहर विकिरण का स्तर स्थिर है, लेकिन उसने निजी कंपनियों से परिसर के आसपास से निकाले गए दसियों हजार लोगों पर मदद पहुंचाने की अपील की।
जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव युकियो एडानो ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “लोगों को समझना होगा कि वे अगर इन (विकिरण) स्तरों पर बाहर निकले तो उन्हें तत्काल खतरा नहीं होगा।” वे असल में फुकुशिमा संयंत्र के 30 किलोमीटर के दायरे के बाहर के लोगों के बारे में बात कर थे। 30 किलोमीटर दायरे के भीतर के करीब 1.40 लाख लोगों को तो घरों के भीतर ही रहने की हिदायत दी गई है।
बुधवार को फुकुशिमा में रिएक्टर संख्या-चार के बाहर मजदूर रास्ता साफ कर रहे थे ताकि आग बुझाने के ट्रक मौके पर पहुंच सकें। इसी तरह रिएक्टर संख्या-तीन को ठंडा रखने के लिए हेलिकॉप्टर से पानी डालने की कोशिश हो रही थी। लेकिन यह दोनों ही काम रेडिएशन या विकिरण का स्तर अधिक होने के कारण पूरे नहीं किए जा सके। अब पुलिस दंगों को शांत करने में इस्तेमाल होनेवाले पानी की बौछारों से संयंत्र को ठंडा करने की कोशिश करेगी।
देश को ढाढस बंधाने के लिए जापान के 77 साल के सम्राट आकिहितो तक को वीडियो संदेश जारी करना पड़ा है। उन्होंने कहा, “मैं तहेदिल से आशा करता हूं कि लोग संकट के दौर से एक दूसरे की मदद करते हुए बाहर निकल जाएंगे।” मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में कार्यरत भौतिकशास्त्री और यूरेनियम उद्योग के विशेषज्ञ डॉ. थॉमस नेफ्फ का कहना है, “यह धीरे-धीरे गहराता जा रहा दुःस्वप्न है।”
परमाणु विकिरण जापानियों के लिए बहुत संवेदनशील मसला है क्योंकि उनका देश 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में एटम बम की विभीषिका झेल चुका है। फिलहाल जापान में हालत यह है कि बर्फीले मौसम वाले देश के उत्तरी भाग में करीब 8.50 लाख घरों में बिजली नहीं है। 15 लाख घरों में पानी नहीं पहुंच रहा है। दसियों हजार लोग लापता हैं।