बैंकों पर लटकी 9 लाख करोड़ रुपए की तलवार, अर्थव्यवस्था को खतरा

रिजर्व बैंक के मुताबिक भारतीय बैंकों के करीब 9 लाख करोड़ रुपए के ऋण जोखिम से घिरे क्षेत्रों में फंसे हुए हैं। इन क्षेत्रों में टेलिकॉम, बिजली, रीयल एस्टेट, एविएशन व मेटल उद्योग शामिल हैं। ये सभी उद्योग किसी न किसी वजह से दबाव में चल रहे हैं। जैसे, मेटल सेक्टर अंतरराष्ट्रीय कीमतों व मांग के गिरने से परेशान है तो बिजली क्षेत्र बढ़ती लागत व ऊंची ब्याज दरों का बोझ झेल रहा है।

धंधे पर दबाव के चलते बैंकों को इन क्षेत्रों को दिए गए ऋण की वसूली में दिक्कत आ सकती है। जानकारों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि जोखिम से घिरे इन उद्योगों को दिए गए 9 लाख करोड़ रुपए के ऋण एनपीए (गैर-निष्पादित आस्ति) बन जाएंगे। लेकिन इन्होंने हमारे बैंकों, खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों का खतरा बढ़ा दिया है। यह स्थिति इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि चालू वित्त वर्ष 2011-12 की सितंबर तिमाही में बैंकों का एनपीए साल भर पहले की तुलना में लगभग 33 फीसदी बढ़ चुका है। बता दें कि एनपीए बैंकों द्वारा दिए गए उस ऋण को कहते हैं जिसकी किश्त (मूलधन + ब्याज) तय समय से 180 दिनों या इससे ज्यादा वक्त तक न दी गई हो।

इधर, ज्यादा से ज्यादा बैंक अधिक एनपीए और उनके बढ़ते प्रावधानों की सूचना दे रहे हैं। रिजर्व बैंक का कहना है कि इस वक्त बैंकों का ऋण पोर्टफोलियो जोखिम से गुजर रहे क्षेत्रों की तरफ अधिक झुका हुआ है। बैंकों के कुल ऋण का 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सा जोखिम से भरे क्षेत्रों को दिया गया है। बैंकों द्वारा दिया गया कुल ऋण 2 दिसंबर 2011 तक 42.35 लाख करोड़ रुपए का रहा है।

खबरों के मुताबिक सरकार बैंकों के जोखिम में फंसने के खतरे से पूरी तरह वाकिफ है। इसकी सही स्थिति का पता लगाने के लिए वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों से पूरा विवरण मांगा है कि उन्होंने एविएशन, टेलिकॉम, रीयल एस्टेट व बिजली कंपनियों को कितना ऋण दे रखा है। इन क्षेत्रों को दिया गया ऋण सितंबर के अंत तक 5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा रहा है।

हाल ही में रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा था कि बैंकों द्वारा बिजली क्षेत्र को दिए गए 56,000 करोड़ रुपए के ऋण आगे जाकर फंस सकते हैं। बिजली वितरण कंपनियों का घाटा 2008-09 से 2010-11 तक दोगुना होकर 40,000 करोड़ रुपए पर पहुंच चुका है। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि बैंकों के ये सारे ऋण किसी न किसी धरोहर के एवज में दिए गए हैं। इनमें से कोई भी ऋण बिना धरोहर या अनसिक्योर्ड नहीं है। इसलिए ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है।

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