बीजीआर एनर्जी सिस्टम्स मुख्य रूप से बिजली और तेल व गैस परियोजनाओं के लिए इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट व कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) का काम करती है। अभी 4 मार्च को उसे अडानी पावर की तिरोडा (महाराष्ट्र) और कवाई (राजस्थान) की बिजली परियोजनाओं के लिए सीपीयू (कंडेंसेट पॉलिशिंग यूनिट) बनाने का 29.96 करोड़ रुपए का कांट्रैक्ट मिला। इसके तीन दिन बाद 7 मार्च को उसे फिर सरकारी कंपनी पावर ग्रिड कॉरपोरेशन से ऑप्टिक फाइबर ग्राउंड वायर लगाने का 36.61 करोड़ रुपएऔरऔर भी

कंपनियां भी हमारे-आप जैसे इंसान ही चलाते हैं तो जिस तरह अनागत का भय हमें कभी ज्योतिष तो कभी न्यूमेरोलॉजी के चक्कर में खींच ले जाता है, वैसा बहुत सारी कंपनियों के साथ भी होता है। जैसे, नाम सीधा-सा है एस डी एल्यूमीनियम। इसे पढ़ेंगे और हिंदी में लिखेंगे भी ऐसे, लेकिन अंग्रेजी में इसे कर दिया – Ess Dee Aluminium। खैर, हमें नाम से क्या, हमें तो काम से काम है। एस डी एल्यूमीनियम का शेयरऔरऔर भी

कोई शेयर अगर महज 4 के पी/अनुपात पर ट्रेड हो रहा हो, उसकी बुक वैल्यू ही बाजार में भाव से ज्यादा हो और अचानक उसमें वोल्यूम बढ़ जाए, वो भी बिना किसी बल्क या ब्लॉक डील के तो समझ लीजिए कि 24 कैरेट का सोना ऑपरेटरों के खोट के साथ मिलकर जेवर बनाकर पहनने लायक हो गया है। जी हां, वर्धमान टेक्सटाइल्स (बीएसई – 502986, एनएसई – VTL) का हाल इस समय ऐसा ही है। कंपनी काऔरऔर भी

बजट का डर व बुखार बीत चुका है। अब अच्छे-अच्छे सस्ते शेयरों को पकड़ने का सिलसिला शुरू किया जाए। तो, गौर कीजिएगा। हाईवे के किनारे ढाबों से लेकर शादी-ब्याज व राजनीतिक समाराहों और बिल्डिंगों के बाहर बैठे गार्ड के नीचे तक प्लास्टिक की जितनी कुर्सियां आप देखते हैं, उनमें से ज्यादातर नीलकमल लिमिटेड की बनाई होती हैं और उन पर बाकायदा नीलकमल का छापा भी लगा होता है। कंपनी प्लास्टिक के मोल्डेड फर्नीचर के अलावा क्रेट वगैरहऔरऔर भी

समझ में नहीं आता इन दुखी आत्माओं का क्या करूं? एक दुखी आत्मा ने लिखा है, “हेलो! आप यहां हर वक्त लिखते हैं कि मार्केंट मजबूत रहेगा। लेकिन हर वक्त वो नीचे ही नीचे जा रहा है। आपने लिखा था कि 6200 से 7000 तक निफ्टी जाएगा। मगर ऐसा नहीं हुआ। अगर आपको सही मालूम होता तो क्यों नहीं आप सबको बोलते कि निफ्टी 4500 तक जाएगा। जब निफ्टी 6200 था तब सब अपना बेच देते औरऔरऔर भी

यूं तो ममता बनर्जी का रेल बजट सिर्फ राजनीति का झुनझुना भर है। 85 पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) परियोजनाओं की घोषणा भी बहुत बढ़ी-चढ़ी लगती है। लेकिन इससे यह संकेत जरूर मिलता है कि भारतीय रेल निजीकरण की दिशा में बढ़ रही है। आज ही आई आर्थिक समीक्षा ने आम बजट को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं। राजकोषीय घाटे को जीपीजी के 4.8 फीसदी पर लाना दिखाता है कि सरकार अपने खजाने को चाक-चौबंद करने के प्रतिऔरऔर भी

हमारे स्टॉक एक्सचेंज निवेशकों के हितों के लिए बड़े चिंतित हैं। खासकर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) तो कुछ ज्यादा ही परेशान हैं। बाकायदा विज्ञापन जारी कर निवेशकों को समझाता है कि सोच कर, समझ कर, इनवेस्ट कर। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल से मिलकर रिसर्च रिपोर्ट जारी करता है ताकि निवेशक को निवेश की निष्पक्ष राय मिल सके और उनका पैसा सुरक्षित रहे। कैसे? एक ताजा बानगी पेश है। एनएसई ने क्रिसिल की तरफ से इसी 7 फरवरी कोऔरऔर भी

मित्रों! 1 अप्रैल 2010 से लेकर अब तक हर हफ्ते सोमवार से शुक्रवार तक हर दिन एक-एक कर इसी जगह करीब ढाई सौ कंपनियों से आपका परिचय करा चुका हूं। बीएसई में कुल लिस्टेड कंपनियां सात हजार के आसपास हैं। अगर यह सिलसिला यूं ही हर दिन चलाता रहूं तब भी सभी लिस्टेड कंपनियों से आपका परिचय कराने में उन्नीस साल और लग जाएंगे। यह बात कहकर मैं दो चीजें जाहिर करना चाहता हूं। एक यह किऔरऔर भी

मधुसूदन सिक्यूरिटीज केवल बीएसई (कोड – 511000) में लिस्टेड है और फिलहाल ट्रेड टू ट्रेड श्रेणी में होने के नाते टी ग्रुप में पड़ी है, यानी इसमें डे-ट्रेडिंग नहीं, डिलीवरी वाले सौदे ही हो सकते हैं। 4 फरवरी से इस पर 5 फीसदी का ऊपरी सर्किट लगना शुरू हुआ है। तब इसका भाव पिछले दिन के बंद भाव 58.50 रुपए से बढ़कर 61.40 रुपए पर पहुंचा था और इसमें हुआ वोल्यूम 4.88 लाख शेयरों का था। उसकेऔरऔर भी

बाजार जब तलहटी पर पहुंचा हो तब अच्छे स्टॉक्स के चयन के लिए ज्यादा मगजमारी या रिसर्च की जरूरत नहीं होती। नजर डालें कि कौन-कौन से शेयर अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंचे हैं। देखें कि वह कंपनी कितनी जानी पहचानी है, थोड़ा-सा उसका धंधा-पानी देख लें और दांव लगा दें। कल अनिल अंबानी समूह की दो प्रमुख कंपनियां रिलायंस कैपिटल और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर 52 हफ्ते के न्यूनतर स्तर पर पहुंच गईं। इनमें से रिलायंस कैपिटल में निवेशऔरऔर भी