तमाम बुरी खबरें पचा गया बाजार। इसमें इनफोसिस के खराब नतीजे, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की कमतर वृद्धि और इन सबके ऊपर मुंबई के झावेरी बाजार, ओपेरा हाउस और दादर में हुए सीरियल बम धमाके। बाजार ने साबित कर दिया कि निफ्टी में 5500 का स्तर बहुत मजबूत स्तर है जहां बाजार ने पर्याप्त पकड़ दिखाई है। कुल मिलाकर बाजार थोड़ा गिरकर बंद हुआ क्योंकि सबको इंतजार था कि यूरोप में बैंकों के स्ट्रेस टेस्ट का नतीजाऔरऔर भी

इनफोसिस को भाईलोग धुने पड़े हैं। मौका मिला नहीं कि पीट डाला। पिछले महीने 20 जून 2011 को 2660.55 रुपए पर इसने 52 हफ्ते की तलहटी पकड़ी थी। कल नतीजों की घोषणा के बाद इसका पांच रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 500209) में 4.27% गिरकर 2794.25 रुपए पर और एनएसई (कोड – INFY) में 4.44% गिरकर 2791.55 रुपए पर बंद हुआ है। लगता है अभी और गिरेगा। [आगे बढ़ूं, इससे पहले एक छोटी-सी बात।औरऔर भी

पिछले चार दिनों से बाजार में बराबर यह खबर उड़ रही थी कि सेबी ने रिलायंस पेट्रोलियम (आरपीएल) में एसएएसटी (सब्सटैंशियल एक्विजिशन ऑफ शेयर्स एंड टेकओवर) रेगुलेशन के उल्लंघन के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) पर 400 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोंक दिया है। आज एक प्रमुख बिजनेस चैनल ने भी यह ‘खबर’ फ्लैश कर दी। अंदरूनी व भेदिया कारोबार के माहिर खिलाड़ी निफ्टी और आरआईएल में पिछले हफ्ते से ही शॉर्ट चल रहे हैं। यही वजह हैऔरऔर भी

ओनिडा ने खुद की ब्रांडिंग ही ऐसी की है कि शायद हर कंज्यूमर के दिमाग में उसकी अलग जगह है। ओनर्स प्राइड, नेवर्स एनवी। कंज्यूमर डूयरेबल उत्पादों में इसकी रेंज भी काफी है। इस ब्रांड की मालिक कंपनी का नाम है मर्क इलेक्ट्रॉनिक्स। कंपनी अभिनव प्रयोगों और प्रस्तुति में कहीं से पीछे नहीं छूटी। बराबर समय के साथ चल रही है। लेकिन अभी तक समय उसका साथ नहीं दे रहा। तभी तो इतने मशहूर उपभोक्ता ब्रांड कीऔरऔर भी

खबरें अक्सर किसी शेयर को तात्कालिक आवेग देने का काम करती हैं। कभी-कभी यह भी होता है कि खबर को पहले ही बाजार डिस्काउंट करके चलता है तो उसके उजागर होने के फौरन बाद उसका असर नहीं होता। ऐसी ही खबर पिछले हफ्ते बाजार बंद होने के एक दिन बाद शनिवार को आई है सरकारी कंपनी आईटीआई लिमिटेड के बारे में। एक सरकारी अधिकारी के हवाले बताया गया कि आईटीआई में निर्णायक हिस्सेदारी देने के लिए नएऔरऔर भी

पानी की कीमत तो प्यासा ही जानता है। उसी तरह ज्ञान की असली जरूरत और भूख निवेशक समझता है। ट्रेडर की तुलना तो अधिक से अधिक उस बंदर की जा सकती है जो इस डाल से उस डाल, इस पेड़ से उस पेड़ पर फुदकता रहता है। वे तो उन बेचारे देहाती लोगों की तरह है जिनके पास दिन के आखिर में बस पैसा होता है और कुछ नहीं। सेरा, एस्ट्रा, एलएमएल, गिलैंडर… और क्या चाहिए हमेंऔरऔर भी

ऊपर-ऊपर से देखें तो दीपक सिंहानिया की कंपनी एलएमएल में अभी बहुत कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। लेकिन अंदर-अंदर उसमें बड़ी लहर बन रही है। एक तो उसे इटली और मिस्र से स्कूटरों का बड़ा ऑर्डर मिला है। दूसरे महिंद्रा एंड महिंद्रा के साथ संयुक्त उद्यम बनने की संभावनाओं ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। इन दोनों ही चर्चाओं ने इसके शेयर में जबरदस्त हलचल पैदा की है। शुक्रवार की बीएसई में इसके 17.81औरऔर भी

गल्फ ऑयल कॉरपोरेशन अपना लुब्रीकेंट व्यवसाय अलग कर एक एसपीवी (स्पेशल परपज वेहिकल) बनाने जा रही है। बाजार सूत्रों के मुताबिक सरकारी कंपनी ओएनजीसी इस तरह बननेवाली नई कंपनी में प्रमुख हिस्सेदारी लेने को तैयार हो गई है। बता दें कि गल्फ ऑयल इंडिया की प्रवर्तक मॉरीशस की कंपनी गल्फ ऑयल इंटरनेशनल है जिस पर पूरी तरह हिंदुजा समूह का नियंत्रण है। हिंदुजा समूह हाल ही में आधिकारिक रूप से कह चुका है कि वह अपने ऑयलऔरऔर भी

भारतीय नौवहन निगम लिमिटेड, हिंदी में यही नाम है शिंपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड या एससीआई का। बुधवार को करीब 11.30 बजे कंपनी ने एक छोटी सी घोषणा की कि वह 29 मई को होनेवाली निदेशक बोर्ड की बैठक में अपनी अधिकृत शेयर पूंजी बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी विचार कर सकती है। इससे पहले 26 अप्रैल को उसने स्टॉक एक्सचेंजो को सूचित किया था कि वह 29 मई को निदेशक बोर्ड की बैठक में 31 मार्चऔरऔर भी