।।किशोर ओस्तवाल।। हमारे शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों को झांसा देने का काम आज से नहीं, दसियों साल से हो रहा है। यही वजह है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 35 फीसदी हिस्सा अब भी बचत के रूप में किनारे पड़ा हुआ है। क्यों? इसलिए कि रिटेल निवेशकों का पूंजी बाजार से भरोसा उठ गया है। सवाल उठता है कि रिटेल निवेशकों की यह हालत क्यों है, इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं और उनकेऔरऔर भी

यह न तो कोई बड़ी बात है और न इतनी छोटी कि इसे यूं ही चलता किया जाए। खाद्य तेलों से शुरू करके बिजली के घरेलू साजोसामान तक पहुंची और देश की तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी बन चुकी कंपनी विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने तय किया है कि वे अपने नाम में दर्ज कंपनी के 21.30 करोड़ शेयर ऐसे ट्रस्ट के खाते में डाल देंगे, जहां से वे खुद भी चाहें तो वापस नहीं लेऔरऔर भी