सरकारी की मानें तो कृषि व संबद्ध क्षेत्र में पूंजी निवेश लगातार बढ़ रहा है। 2004-05 में देश के कृषि क्षेत्र में सकल पूंजी निर्माण (जीसीएफ) 76,096 करोड़ रुपए था, जो उस साल के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 13.5% था। 2010-11 में कृषि में जीसीएफ बढ़कर 1,42,254 करोड़ रुपए हो गया जो तत्कालीन जीडीपी का 20.1% था। कृषि निवेश में सिंचाई सुविधाओं से लेकर भूमि विकास, गैर-आवासीय इमारतों व फार्म हाउसों पर किया गया सरकारी वऔरऔर भी

स्पेन की सरकार का ऋण इस साल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 79.8 फीसदी पर पहुंच जाएगा जो 1990 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। स्पेन के बजट मंत्री क्रिस्टोबल मोनटोरो ने मंगलवार को मैड्रिड में संवाददाता सम्मेलन में दौरान बताया कि साल 2012 में सरकार को 186.1 अरब यूरो (248 अरब डॉलर) का ऋण लेना पड़ेगा। इससे सरकार के ऋण व जीडीपी का अनुपात 79.8 फीसदी हो जाएगा, जबकि साल 2011 में यह 68.5 फीसदीऔरऔर भी

दुनिया की सन्नामी रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) ने कहा है कि भारत का आम बजट उसकी रेटिंग (BBB-/Stable/A-3) पर थोड़ा नकारात्मक असर डाल सकता है। उसका कहना है कि वित्त मंत्री ने खजाने की व्यवस्था के संबंधित तमाम सुधार घोषित किए हैं, लेकिन माल व सेवा कर (जीएसटी), प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) औप सब्सिडी सीधे लक्ष्य तक पहुंचाने जैसे अहम सुधारों के अमल के वक्त को लेकर अनिश्चितता बरकरार है। साथ ही भारतऔरऔर भी

घटती विकास दर की हकीकत और आगे बढ़ जाने की उम्मीद के बाद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी देश का 81वां आम बजट शुक्रवार को संसद में पेश कर रहे हैं। आम नौकरीपेशा लोगों को उम्मीद है कि आयकर छूट की सीमा 1.80 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपए की जा सकती है तो कॉरपोरेट क्षेत्र को लगता है कि एक्साइज ड्यूटी को 10 से 12 करके उनको पहले दी गई राहत वापस ले ली जाएगी। वहीं अर्थशास्त्रीऔरऔर भी

केंद्र सरकार सार्वजनिक ऋण के प्रबंधन के लिए रिजर्व बैक से अलग व्यवस्था करेगी। इसके लिए ऋण प्रबंधन कार्यालय (डीएमओ) बनाया जाएगा जिसके लिए एक विधेयक संसद के बजट सत्र में पेश किया जाएगा। बजट सत्र अगले हफ्ते सोमवार, 12 मार्च से शुरू हो रहा है। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को सरकारी ऋण की ताजा स्थिति पर जारी रिपोर्ट में कहा है, “सार्वजनिक ऋण प्रबंधन के बारे में सबसे अहम सुधार है वित्त मंत्रालय में अलग सेऔरऔर भी

देश की आर्थिक विकास दर अक्टूबर से दिसंबर 2011 की तिमाही में घटकर 6.1 फीसदी पर आ गई है। यह पिछले करीब तीन सालों (11 तिमाहियों) में किसी भी तिमाही की सबसे कम आर्थिक विकास दर है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की सितंबर तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की विकास दर 6.9 फीसदी और उससे पहले जून तिमाही में 7.7 फीसदी रही थी। आर्थिक विकास दर में आई इस गिरावट की मुख्य वजह इस साल अबऔरऔर भी

प्राइमरी बाजार ही वह चौराहा है, वो दहलीज है, जहां निवेशक पहली बार कंपनी से सीधे टकराता है। प्रवर्तक पब्लिक इश्यू (आईपीओ या एफपीओ) के जरिए निवेशकों के सामने अपने जोखिम में हिस्सेदारी की पेशकश करते हैं। निवेशक खुद तय करके अपने हिस्से की पूंजी दे देता है। फिर कंपनी सारी पूंजी जुटाकर अपने रस्ते चली जाती है और निवेशक अपने रस्ते। निवेशक की पूंजी चलती रही, कहीं फंसे नहीं, तरलता बनी रहे, कंपनी के कामकाज़ कोऔरऔर भी

अगले दस सालों में सरकार देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के योगदान को 25 फीसदी पर पहुंचा देंगी और दस करोड़ रोज़गार के नए अवसर पैदा करेगी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग नीति के इस उद्देश्य को बड़े जोर-शोर से पेश किया है। वे मंगलवार को दिल्ली में उद्योग संगठन एसोचैम के 91वें सालाना सम्मेलन में बोल रहे थे। बता दें कि केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) की तरफ से जारी ताजाऔरऔर भी

अर्थशास्त्रियों को उम्मीद थी कि अक्टूबर में 4.7 फीसदी घटने के बाद नवंबर में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) जिस तरह 5.9 फीसदी बढ़ा था, उसे देखते हुए दिसंबर में आईआईपी की वृद्धि दर 3.4 फीसदी तो रहनी ही चाहिए। लेकिन सीएसओ (केंद्रीय सांख्यिकी संगठन) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन में वास्वतिक वृद्धि मात्र 1.8 फीसदी की हुई है। साल भर पहले दिसंबर 2010 में यह वृद्धि दर 8.1 फीसदी रही थी।औरऔर भी

केन्‍द्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने चालू वित्त वर्ष 2011-12 में आर्थिक वृद्धि दर के निराशाजनक अग्रिम अनुमान व्यक्त किए हैं। मंगलवार को जारी अग्रिम अनुमानों के मुताबिक बार जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 6.9 फीसदी ही बढ़ेगा, जबकि बीते वित्त वर्ष में यह 8.4 फीसदी बढ़ा था। इस बार कृषि क्षेत्र की विकास दर 2.5 फीसदी रहेगी, जबकि पिछले साल यह 7 फीसदी थी। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के इस बार 3.9 फीसदी बढ़ने का अनुमान है, जबकि पिछले सालऔरऔर भी