सरकार के ऋण प्रबंधन के लिए अलग होगा इंतजाम

केंद्र सरकार सार्वजनिक ऋण के प्रबंधन के लिए रिजर्व बैक से अलग व्यवस्था करेगी। इसके लिए ऋण प्रबंधन कार्यालय (डीएमओ) बनाया जाएगा जिसके लिए एक विधेयक संसद के बजट सत्र में पेश किया जाएगा। बजट सत्र अगले हफ्ते सोमवार, 12 मार्च से शुरू हो रहा है।

वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को सरकारी ऋण की ताजा स्थिति पर जारी रिपोर्ट में कहा है, “सार्वजनिक ऋण प्रबंधन के बारे में सबसे अहम सुधार है वित्त मंत्रालय में अलग से डीएमओ की स्थापना। आनेवाले बजट सत्र 2012-13 में इस सिलसिले में आवश्यक विधेयक पेश करने का प्रस्ताव है।”

अभी तक भारतीय रिजर्व बैंक देश के मुद्रा प्रबंधन और बैंकों के नियमन के साथ ही सरकार के ऋण प्रबंधन का काम भी करता है। इसलिए उसके काम व फैसलों में अनावश्यक उलझन होती है। सरकार चाहती है कि ऋण प्रबंधन का काम उससे अलग कर दिया जाए ताकि वह मौद्रिक नीति संबंधी फैसले निष्पक्षता और बिना किसी दबाव के ले सके।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने दो साल पहले 2010-11 का आम बजट पेश करते हुए कहा था कि सरकार सार्वजनिक ऋण प्रबंधन एजेंसी विधेयक पेश करेगी। लेकिन इस मसले पर रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच बराबर मतभेद बने रहे। रिजर्व बैंक का कहना है कि सरकार के ऋण का प्रबंधन वित्त मंत्रालय के अधीन बनी किसी अलग संस्था के बजाय रिजर्व बैंक के नियंत्रण में चलनेवाली किसी संस्था से कराया जाना चाहिए।

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने इस संदर्भ में पहले कहा था, “सरकार के ऋण प्रबंधन के काम को रिजर्व बैंक से अलग करने के पीछे कई तर्क दिए जा रहे हैं। मसलन, इससे हितों का टकराव सुलझ जाएगा, ऋण की लागत घट जाएगी, ऋण का सुदृढीकरण होगा और पारदर्शिता आएगी। लेकिन वास्तव में ये सारे फायदे अतिरंजित हैं।” उनका कहना था कि उचित मौद्रिक नीति और वित्तीय स्थायित्व के लिए सरकार के ऋण प्रबंधन और केंद्रीय बैंक के बीच नजदीकी संबंध होना जरूरी है।

देखिए, नए विधेयक पर रिजर्व बैंक का क्या रुख रखता है। फिलहाल वित्त मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2011-12 में सरकार का कुल अनुमानित ऋण 32,81,464.94 करोड़ रुपए है। इसमें से आंतरिक ऋण 31,10,617.97 करोड़ रुपए का है, जबकि विदेशी ऋण की मात्रा 1,70,846.97 करोड़ रुपए है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का त्वरित अनुमान 52,22,027 करोड़ रुपए का है। इस तरह इस समय भारत सरकार का कुल ऋण जीडीपी का 62.84 फीसदी है।

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