देश की अदालतों में इस समय चेक बाउंस के 38 लाख से ज्यादा मामले दाखिल हैं।  इनसे आजिज आकर अब सुप्रीम कोर्ट ने आउट-ऑफ-कोर्ट निपटारे के लिए दिशानिर्देश बना दिए हैं। चेक बाउंस को 1989 में दंडनीय अपराध माना गया और 2002 से इसमें समरी ट्रायल का प्रावधान किया गया। अब तय हुआ है कि अगर जिसका चेक बाउंस हुआ है, वह निचली अदालत के फैसले को चुनौती देता है तो उस पर दंड की रकम बढ़तीऔरऔर भी