वित्तीय और बैंक संकट के समाधान पर सहमति के लिए यूरोपीय नेता बुधवार को फिर से मिल रहे हैं। पूरे सप्ताहांत चले विचार-विमर्श के बावजूद इस पर विवाद रहा कि यूरो बचाव पैकेज को किस तरह से और प्रभावशाली बनाया जा सकता है। लेकिन इससे पहले जर्मन संसद बुंडेसटाग को भी हरी झंडी दिखानी होगी। फिलहाल जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल संसद में राजनीतिक पार्टियों और संसदीय दल के नेताओं को सारी स्थिति की जानकारी दे रही हैं।औरऔर भी

यूरोप का ऋण संकट इस वक्त सबके जेहन पर छाया हुआ है। अमेरिकी सरकार की रेटिंग घटने के बाद उसके भी ऋण पर चिंता जताई जा रही है। लेकिन आईएमएफ के ताजा अध्ययन के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज का बोझ जापान सरकार पर है। साल 2011 में उसका कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 230% रहेगा। ग्रीस सरकार का कर्ज इससे कम, जीडीपी का 165% रहेगा। इसके बाद क्रम से इटली, आयरलैंड, पुर्तगाल औरऔरऔर भी

हर कोई आश्चर्य कर रहा है कि कैसे बाजार इतना बढ़ गया। निफ्टी 2.15 फीसदी बढ़कर 5140.20 और सेंसेक्स 2.11 फीसदी बढ़कर 17,099.28 पर जा पहुंचा। लेकिन इसमें हमारे लिए कोई चौंकने की बात नहीं थी क्योंकि हमें पता था कि भारतीय बाजार एकदम तलहटी पर पहुंच चुके हैं। ग्रीस को 76.9 करोड़ यूरो का अपना वाजिब हिस्सा मिल गया और यूरोप के बाजार 2 से 3 फीसदी बढ़ गए। ऐसे में स्वाभाविक था कि शॉर्ट केऔरऔर भी

यूरोप सहित तमाम विकसित देशों में गहराते वित्तीय संकट और घरेलू अर्थव्यवस्था की मंद पड़ती रफ्तार से चिंतित वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को वैश्विक समुदाय का आह्‍वान करते हुए कहा कि हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए और स्थिति से मिलकर निपटना होगा। दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों के शोध से जुडी भारतीय परिषद (आईसीआरआईईआर) के एक सम्मेलन के दौरान उन्होंने अलग से कहा कि लगातार निराशाजनक समाचार मिल रहे हैं। पहले हमें औद्योगिक उत्पादन सूचकांकऔरऔर भी

क्या जर्मनी एक बार फिर से अपनी पुरानी मुद्रा डॉयच मार्क को अपनाने की तैयारी में है? मीडिया की खबर पर भरोसा करें तो जर्मनी इस समय प्रचलित मुद्रा यूरो के स्थान पर फिर से डॉयच मार्क को प्रचलन में लाने की तैयारी में हैं। लंदन के ‘डेली एक्सप्रेस’ में प्रकाशित एक खबर में कहा गया है कि कयास लगाए जा रहे हैं कि यूरो के स्थान पर एक बार फिर डॉयच मार्क के बैंक नोट छापेऔरऔर भी

ग्रीस की खराब आर्थिक हालात के कारण पूरा यूरोप चिंतित है। भारत में महंगाई की स्थिति खराब चल रही है। इन हालात में बदनाम पी-नोट्स (पार्टिसिपेटरी नोट्स) के जरिए भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर बड़े पैमाने पर निवेश शुरू हो गया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के कुल निवेश में पी-नोट्स की हिस्सेदारी मई महीने में 19.5 फीसदी तक पहुंच चुकी थी। सेबी के मुताबिक अप्रैल में यह आंकड़ा 15 फीसदी ही था। हालांकि यहऔरऔर भी

ऋण के बोझ और तरलता के संकट से जूझ रहे यूरो ज़ोन के देशों को उबारने के लिए यूरोपीय संघ 700 अरब यूरो का स्थाई वित्तीय सुरक्षा पैकेज देने को राजी हो गया है। माना जा रहा है कि ऋण संकट के चलते इन देशों पर मंडराते राजनीतिक अस्थायित्व के बादल छंट जाएंगे। नया राहत कोष, यूरोपीय स्थिरता प्रणाली (ईएसएम) 440 अरब यूरो के वर्तमान अस्थाई वित्तीय कवच, यूरोपीय वित्तीय स्थिरता कोष (ईएफएसएफ) की जगह ले लेगा।औरऔर भी

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन ने गंभीर आर्थिक संकट के दौर गुजर रहे पश्चिमी देशों को तेज आर्थिक वृद्धि के दौर से गुजर रहे भारत और चीन से सीख लेने की सलाह दी है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सेड बिजनेस स्कूल में संजय लाल विजटिग प्रोफेसरशिप ऑफ बिजनेस एंड डेवलपमेंट की शुरूआत करते हुए सेन ने एक पैनल चर्चा में कहा कि विकासशील देश पश्चिम में अर्थव्यवस्था को लेकर चल रही चर्चा में ‘स्तरीय विचार’ दे सकतेऔरऔर भी

जिम रोजर्स अमेरिकी शेयर बाजार के बड़े नामी सटोरिये हैं। बड़बोलापन उनकी आदत है। लेकिन उन्होंने हाल ही में बिजनेस चैनल सीएनबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में ऐसी बात कही है जो किसी को सिर से पांव तक हिलाकर रख सकती है। उनका कहना है कि, “ब्रिटेन पूरी तरह दीवालिया हो चुका है।” बता दें कि जिम रोजर्स मशहूर निवेशक जॉर्ज सोरोस के साथ जुड़े रहे हैं और निवेश से करोड़ो डॉलर कमा चुके हैं। उनकाऔरऔर भी

बामर लॉरी एंड कंपनी (बीएसई – 523319, एनएसई – BALMLAWRIE) बड़ी विचित्र कंपनी है। यह सरकारी कंपनी है, लेकिन प्रवर्तक के रूप में न तो भारत सरकार और न ही किसी राज्य सरकार के पास इसके कोई शेयर हैं। इसके सारे के सारे शेयर, पूरी की पूरी 16.29 करोड़ रुपए की इक्विटी पब्लिक के पास है। सरकार इसमें प्रवर्तक नहीं, बल्कि पब्लिक के खाते से अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है। असल में इसकी 61.80 फीसदी इक्विटी बामरऔरऔर भी