यूरोपीय संकट के निदान पर हावी है जर्मनी

वित्तीय और बैंक संकट के समाधान पर सहमति के लिए यूरोपीय नेता बुधवार को फिर से मिल रहे हैं। पूरे सप्ताहांत चले विचार-विमर्श के बावजूद इस पर विवाद रहा कि यूरो बचाव पैकेज को किस तरह से और प्रभावशाली बनाया जा सकता है। लेकिन इससे पहले जर्मन संसद बुंडेसटाग को भी हरी झंडी दिखानी होगी। फिलहाल जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल संसद में राजनीतिक पार्टियों और संसदीय दल के नेताओं को सारी स्थिति की जानकारी दे रही हैं।

बुधवार से पहले या तो पूरी संसद को या बजट समिति को यूरो जोन को स्थिर बनाने की योजना को पास करना होगा। यह फैसला शिखर भेंट में चांसलर की सहमति के लिए भी जरूरी होगा। बर्लिन के दबाव पर यूरोपीय संघ की संधि में भी फेरबदल किया जा रहा है। असल में जर्मनी इस तरह से अंधाधुंध कर्ज लेने वाले देशों के बजट पर नियंत्रण की गुंजाइश बनाना चाहता है। यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष हरमन फान रॉमपॉय से दिसंबर तक इस संबंध में एक रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।

यूरोपीय नेता ग्रीस को बैंकों की भागीदारी के साथ कर्ज के एक हिस्से की माफी की तैयारी कर रहे हैं। जुलाई में तय 109 अरब यूरो का बचाव पैकेज वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल के कारण पर्याप्त नहीं होगा। अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों के अनुसार ग्रीस को संकट का सामना करने के लिए अगले दस सालों में 251 अरब यूरो की जरूरत होगी। बैंक इस बात का विरोध कर रहे हैं कि उन्हें ग्रीस को दिए कर्ज का आधा हिस्सा माफ करना होगा। अब तक वे अपनी मर्जी से 21 फीसदी माफी के लिए तैयार थे। कर्ज माफी को बर्दाश्त करने के लिए उन्हें अपनी पूंजी 100 अरब यूरो बढ़ानी होगी।

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