भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण दुनिया के शेयर बाजार का करीब 3% है। हमारे सबसे बड़े बैंक एसबीआई का लाभ चीन के सबसे बड़े बैंक का महज 10% है। निजी क्षेत्र में हमारी तेल व गैस की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज इसी क्षेत्र की फ्रांसीसी कंपनी टोटल के एक तिहाई आकार की है। ऊपर से हमारी 100 सबसे बड़ी कंपनियों के लाभ में 41% हिस्सा सरकारी कंपनियों, 41% हिस्सा परिवार नियंत्रित कंपनियों और बाकी 18% हिस्साऔरऔर भी

इक्कीस साल एक महीने पहले सितंबर 1990 से देश में बैंकों की ब्याज दरों को बाजार शक्तियों या आपसी होड़ के हवाले छोड़ देने का जो सिलसिला हुआ था, वह शुक्रवार 25 अक्टूबर 2011 को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा के साथ पूरा हो गया। रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने ऐलान किया, “अब वक्त आ गया है कि आगे बढ़कर रुपए में ब्याज दर को विनियंत्रित करने की प्रकिया पूरी करऔरऔर भी

इस सेटलमेंट को खत्म होने में बस दो दिन बचे हैं और तेजड़ियों के लिए नए नवंबर के सेटलमेंट की जबरदस्त शुरुआत के लिए शुक्रवार से बेहतर कोई दूसरा दिन हो नहीं सकता। इधर हर बढ़त पर उनका सामना शॉर्ट सौदों से हो रहा है जो उनके लिए दिवाली गिफ्ट साबित हो रहे हैं। अगर सेटलमेंट के अंत में बाजार बढ़कर, मान लीजिए 5250 पर बंद होता है तो सारी कॉल मनी उनकी जेब में चली जाएगीऔरऔर भी

एक दिन में सेंसेक्स के 422 अंक और निफ्टी के 125 अंक बढ़ने के बाद बाजार का थोड़ा गम खाना लाजिमी था। फिर भी खुला तेजी के साथ तो बाजार चलानेवालों को थोड़ी मुनाफावसूली का मौका मिल गया। हालांकि सेंसेक्स 74.47 अंक और निफ्टी 21.55 अंक गिरकर बंद हुआ है। लेकिन इससे यह नहीं मान लेना चाहिए कि बाजार का रुख फिर उलट गया है। कल बाजार के बादशाह रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) का दिन है। वह सितंबरऔरऔर भी

इनफोसिस ने अपेक्षा से बेहतर नतीजे घोषित किए। लेकिन बाकी साल के अनुमान घटा दिए। फिर भी इसके शेयरों में उछाल गया। इसका कारण यह है कि बाजार में हर कोई शॉर्ट हुआ पड़ा है जबकि डाउनग्रेड का दौर अब खत्म हो चुका है और अपग्रेड का क्रम शुरू हो गया है। इससे आपका साबका भले ही न पड़ा हो, लेकिन ऐसा होना आम नियम और व्यवहार है। रुपए का अवमूल्यन सॉफ्टवेयर निर्यात करनेवाली कंपनियों की मददऔरऔर भी

कल निफ्टी में 4990 और 5030 के आसपास किए गए शॉर्ट सौदे अभी तक काटे नहीं गए हैं। कारण, बहुत से मंदड़िए मानते हैं कि बाजार गिरकर 4700 तक जाएगा क्योंकि कल आ रहे इनफोसिस के नतीजे, हो सकता है कि अच्छे न रहें। ब्याज दरों के बढ़ने से मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को तगड़ी चपत लगी है। वहीं रुपए का कमजोर होना इनफोसिस की भावी संभावनाओं के लिए सुखद है। इनफोसिस ने जिस तरह से रुपए की विनिमयऔरऔर भी

पिछले इकत्तीस सालों से किसी न किसी रूप में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से चिपकी रहीं उनकी वर्तमान सलाहकार ओमिता पॉल हर तरफ से उठे विरोध के बावजूद आखिरकार अपने भाई जितेश खोसला को यूटीआई म्यूचुअल फंड का चेयरमैन बनवाने में कामयाब हो ही गईं। खबरों के मुताबिक दो-चार दिन में इसकी औपचारिक घोषणा हो जाएगी। खोसला 1979 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। अभी हाल तक कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के तहत आनेवाले संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेटऔरऔर भी

स्टैंडर्ड एंड पुअर्स, मूडीज और फिच जैसी रेटिंग एजेंसियों ने दुनिया भर में देशों से लेकर बैंकों तक को डाउनग्रेड करने का सिलसिला जारी रखा है तो हर तरफ निराशा ही निराश फैली गई है। इससे इन एजेंसियों को चाहे कुछ मिले या नहीं, लेकिन समूची दुनिया में निवेशकों को वित्तीय नुकसान जरूर हो रहा है। ध्यान दें कि ये वही रेटिंग एजेंसियां हैं जिन्हें 2007-08 में अमेरिका के सब-प्राइम संकट का भान तक नहीं हुआ थाऔरऔर भी

जिस तरह रेटिंग एजेंसी मूडीज ने देश के सबसे बैंक एसबीआई को डाउनग्रेड किया है, उससे उसकी निष्पक्षता पर सवालिया निशान लग गया है। मूडीज ने कहा है कि एसबीआई का एनपीए (गैर-निष्पादित आस्तियां) या डूबत ऋण 12 फीसदी हो सकता है, लेकिन रिजर्व बैंक के नियमों के तरह भारत में किसी बैंक का एनपीए कभी भी इतना हो नहीं सकता। इस समय जून 2011 की तिमाही के नतीजों के मुताबिक एसबीआई का एनपीए कुल ऋणों काऔरऔर भी

बाजार के हालात सचमुच खराब हों या न हों, लेकिन भाई लोगों ने अफवाहों का चक्रवात चलाकर पूरे माहौल को बहुत भयावह बना दिया है। वे बता रहे हैं कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने 3 अक्टूबर 2008 को क्या आंकड़े पेश किए थे और अब उसी ने 3 अक्टूबर 2011 को क्या आंकड़े पेश किए हैं। संयोग से दोनों आंकड़े कमोबेश एक जैसे हैं और लेहमान संकट के समय आए ध्वंस की याद दिला रहे हैं। एकऔरऔर भी