इनसे निकलो, किन-किन को पकड़ो

इनफोसिस ने अपेक्षा से बेहतर नतीजे घोषित किए। लेकिन बाकी साल के अनुमान घटा दिए। फिर भी इसके शेयरों में उछाल गया। इसका कारण यह है कि बाजार में हर कोई शॉर्ट हुआ पड़ा है जबकि डाउनग्रेड का दौर अब खत्म हो चुका है और अपग्रेड का क्रम शुरू हो गया है। इससे आपका साबका भले ही न पड़ा हो, लेकिन ऐसा होना आम नियम और व्यवहार है। रुपए का अवमूल्यन सॉफ्टवेयर निर्यात करनेवाली कंपनियों की मदद करता रहेगा और आनेवाली तिमाहियों में इनका लाभार्जन बेहतर से बेहतर होता जाएगा।

बहुत से एफआईआई इस समय टेलिकॉम, हेल्थकेयर, एफएमसीजी व घरेलू खपत पर टिके स्टॉक्स को बेचेंगे। असल में ये काफी तेजी से उठे हैं और इनका मूल्यांकन चक्र के सबसे ऊपरी छोर पर है। इन स्टॉक्स में निवेश या स्वामित्व का स्तर भी काफी व्यापक हो चुका है। इसलिए जरा-सी बुरी खबर इनके डाउनग्रेड की वजह बन बन सकती है। इनमें जहां बढ़ने की सीमित गुंजाइश है, वहीं गिरने की असीमित आशंका है। इसलिए इनसे निकल लेने में ही भलाई है।

शायद आपको याद होगा कि मैंने कहा था कि कोल इंडिया काफी महंगा है और यह 300 रुपए तक गिर सकता है। अगर सरकार ने खुदा-न-खास्ता कोल इंडिया का एफपीओ लाने की घोषणा कर दी तो मैं आपसे शर्त लगा सकता हूं कि यह गिरकर 200 रुपए या इससे भी नीचे चला जाएगा। इसलिए मुझे लगता है कि भले ही तमाम लोग इसे काला सोना बता रहे हों, लेकिन इस स्टॉक से निकलने में अब भी ज्यादा देरी नहीं हुई है। फिलहाल यह 339 रुपए पर है। इसको बेचकर रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), एसबीआई और आईटी सेक्टर के स्टॉक्स खरीद लेने चाहिए जिनका सबसे बुरा दौर अब बीत चुका है।

हमारे यहां की कड़वी सच्चाई यह है कि रिटेल निवेशक हमेशा एफआईआई के निवेश के पीछे भागते हैं। उनके खरीदने-बेचने का फैसला एफआईआई के रुख पर बहुत ही ज्यादा निर्भर हैं। इस चक्कर में फंसकर वे चोटी पर पहुंच चुके स्टॉक्स में निवेश करते हैं, जबकि शेयर जब एकदम तलहटी पर पहुंच रहे होते हैं, तब उनसे बेचकर निकल लेते हैं। इसकी पुनरावृत्ति बार-बार होती है। दूसरी तरफ हमने ऑटो, एसबीआई व इनफोसिस को तब बेचने की सलाह दी थी, जब वे अपने सर्वोच्च स्तर पर थे। अब इन तीनों को हम सबसे अच्छी खरीद बता रहे हैं। बेचना सही साबित हो चुका है और हम खरीद के भी सही साबित होने का इंतजार कर रहे हैं।

अगस्त के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) का आंकड़ा 5.2 फीसदी की हमारी उम्मीद और 4.82 फीसदी की बाजार अपेक्षा से काफी कम है। फिर भी बाजार गिरने को तैयार नहीं है क्योंकि समूचे ट्रेडर 5000 के नीचे के शॉर्ट सौदों में बुरी तरह फंस गए हैं। इसलिए हमने तो आज यही सलाह दी कि बाजार के 5000 के ऊपर पहुंचने पर बेचकर बाहर निकल लें और यह 5070 को पार चला जाए तो फिर से खरीद लें। मेरा मानना है कि बाजार को यहां से बढ़ना ही है। फिलहाल निफ्टी 2.51 फीसदी बढ़कर 5099.40 पर पहुंच गया है।

मैं डीएलएफ को लेकर अब भी तेजी की धारणा रखता हूं क्योंकि यह जल्दी ही अपनी कमर्शियल रीयल एस्सेट शाखा, डीएएल को अपने में मिलाने की घोषणा करनेवाली है। आज यह 3 फीसदी बढ़कर 236.60 पर पहुंच गया। आनेवाले हफ्तों में यह 280 रुपए से 300 रुपए तक जा सकता है। जेट एयरवेज दूसरा स्टॉक है जो जरूरत से ज्यादा गिर चुका है। अगर लवेबल लिंजेरी जैसी कंपनी घरेलू खपत के दम पर चल सकती है तो हवाई यात्रा तो भारत की विकासगाथा का अभिन्न हिस्सा है। एविएशन सेक्टर में मूल्य खीचने की ताकत कभी कम नहीं होगी। इसलिए मैं स्पाइसजेट और जेट एयरवेज को खरीदते जाने का पक्षधर हूं।

सिम्फनी भी एक जानदार स्टॉक है क्योंकि कंपनी का शुद्ध लाभ इस तिमाही में 200 फीसदी बढ़ने जा रहा है। बॉम्बे डाईंग की ताकत अब खुलकर सबके सामने आ रही है। कंपनी ने अपनी रीयल एस्टेट परियोजनाओं के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया और इकनॉमिक टाइम्स जैसे अखबारों में धुआंधार विज्ञापन देने शुरू कर दिए हैं। यह शेयर अगले छह महीनों में 1000 रुपए छूने जा रहा है। प्रबंधन क्रीपिंग एक्विजिशन के जरिए बाजार से कंपनी के और 3 फीसदी शेयर खरीद चुका है। इस तरह बाजार में मुक्त शेयरों की संख्या पहले से कम हो गई है।

भावनाएं झलक जाएं तो कभी उनके लिए माफी मत मांगिए क्योंकि जब आप ऐसा करते हैं तो आप सच जाहिर करने के लिए माफी मांग रहे होते हैं जो कतई अच्छी बात नहीं है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का पेड-कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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