अगस्त में औद्योगिक उत्पादन के बढ़ने की दर जुलाई जैसी ही निराशाजनक रही है। बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) महज 4.1 फीसदी बढ़ा है, जबकि उम्मीद 5 फीसदी की थी। यह पिछले महीने जुलाई में आईआईपी के बढ़ने की संशोधित दर 3.84 फीसदी से थोड़ा ही ज्यादा है। इसका सारा दोष रिजर्व बैंक पर मढ़ा जा रहा है क्योंकि उसने पिछले डेढ़ साल में ब्याज दरें 12 बार बढ़ाई हैं।
केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय की तरफ से जारी सूचना के अनुसार आईआईपी के गिरकर 4.1 फीसदी रह जाने की खास वजह मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र व खनन उद्योग का निराशाजनक प्रदर्शन है। पिछले साल अगस्त में औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर 4.5 फीसदी थी। हालांकि, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 5.7 फीसदी रही जो बीते साल की इसी अवधि में 8.7 फीसदी थी।
अगस्त 2011 में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि दर महज 4.5 फीसदी रही है। वैसे बीते साल अगस्त में भी यह 4.7 फीसदी ही थी। आईआईपी में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का योगदान 75 फीसदी से अधिक है। अगस्त में खनन उत्पादन बढ़ने के बजाय 3.4 फीसदी घट गया, जबकि बीते साल की इसी अवधि में खनन उत्पादन की वृद्धि दर 5.9 फीसदी थी।
समीक्षाधीन माह में मशीनरी बनाने वाले उद्योग की वृद्धि दर भी घटकर 3.9 फीसदी पर आ गई जबकि साल भर पहले इस क्षेत्र ने 4.7 फीसदी की वृद्धि दर हासिल की थी। वहीं, अगस्त में टिकाऊ उपभोक्ता सामान बनाने वाले क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 4.6 फीसदी पर आ गई जो बीते साल अगस्त में 8.1 फीसदी थी। हालांकि, समीक्षाधीन माह में बिजली उत्पादन की वृद्धि दर में सुधार दर्ज किया गया और यह 9.5 फीसदी रही। बीते साल अगस्त में बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर महज एक फीसदी थी।