टीम अण्णा की प्रमुख सदस्य किरण बेदी ने लोकपाल को संवैधानिक दर्जा दिए जाने की सरकारी पेशकश पर सवाल खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि यह लोकपाल विधेयक के पारित होने में देरी करने या उससे बचने और लोगों को मूर्ख बनाने का एक सोचा-समझा तरीका है।
बुधवार को किरण बेदी ने कहा कि संवैधानिक दर्जा इसे (लोकपाल विधेयक को) खत्म करने का तरीका है क्योंकि इसके लिए संसद के दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है जो लालू और मायावती के रहते बहुत मुश्किल होगा। बेदी के मुताबिक, सरकार अगर शीतकालीन सत्र में लोकपाल विधेयक लाने के प्रति गंभीर है तो उसे सबसे पहले लोकपाल विधेयक पर मतदान करवाना चाहिए। संवैधानिक दर्जा इसे टालने का पक्का तरीका है। उन्होंने कहा कि सरकार इसे संवैधानिक दर्जा तब देगी, जब उनके पास पर्याप्त संख्या बल होगा। आखिर वे किसे मूर्ख बना रहे हैं?
इससे पहले कल, मंगलवार को केंद्रीय विधि मंत्री सलमान खुर्शीद ने लोकपाल को एक ऐसा संवैधानिक निकाय बनाने की बात कही है जो चुनाव आयोग से अधिक शक्तिशाली होगा। खुर्शीद ने कहा था कि हम एक बहुत मजबूत लोकपाल विधेयक के मसौदे पर काम कर रहे हैं। लोकपाल विधेयक संविधान संशोधन के साथ आएगा। इस संशोधन से लोकपाल का दर्जा संवैधानिक प्राधिकार का हो जाएगा। इसके लिए अगले माह शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पेश किया जाएगा और लोकपाल विधेयक के इसी सत्र में पारित हो जाने की उम्मीद है।
लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने की यह पहल कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की तरफ से संसद के मानसून सत्र में दिए गए इस आशय के सुझाव के मद्देनजर हुई है।