यूरोप का ऋण संकट इस वक्त सबके जेहन पर छाया हुआ है। अमेरिकी सरकार की रेटिंग घटने के बाद उसके भी ऋण पर चिंता जताई जा रही है। लेकिन आईएमएफ के ताजा अध्ययन के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज का बोझ जापान सरकार पर है। साल 2011 में उसका कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 230% रहेगा। ग्रीस सरकार का कर्ज इससे कम, जीडीपी का 165% रहेगा। इसके बाद क्रम से इटली, आयरलैंड, पुर्तगाल औरऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाह को आगाह किया है कि अगर मौजूदा आर्थिक संकट गहराता है तो मुद्रा युद्ध का खतरा पैदा हो सकता है। मुखर्जी ने गुरुवार को वॉशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुख्यालय में ब्रिक्स देशों के वित्त मंत्रियों के संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस तरह के मुद्रा युद्ध को आपसी बातचीत से ही टाला जा सकता है न कि प्रतिस्पर्धी अवमूल्यन से। एक सवाल के जवाब में मुखर्जी नेऔरऔर भी

भारतीय अर्थव्यवस्था विकास के रास्ते पर है और 2008 की मंदी के बाद पिछले दो वर्षों में अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर आठ फीसदी रही है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बुधवार को न्यूयॉर्क में इंडिया इनवेस्टमेंट फोरम को संबोधित करते हुए भरोसा जताया कि इस साल भी जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की विकास दर 8 फीसदी रहेगी। अगले साल मार्च से शुरू हो रही 12वीं पंचवर्षीय योजना में जीडीपी में विकास का सालाना लक्ष्य नौ फीसदीऔरऔर भी

यूरोपीय संकट का मजबूत और विश्वसनीय समाधान सबके हित में है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के जरिए समूचा वैश्विक समुदाय इस दिशा में प्रयास कर रहा है। यह बात अमेरिकी वित्त मंत्री टिमोथी गेथनर ने कही। गेथनर ने व्हाइट हाउस में कहा कि मुझे लगता है कि यूरोप फिलहाल जैसे वित्तीय दबाव में है उसके मजबूत और विश्वसनीय समाधान में हम सबका हित है। यह सिर्फ अमेरिका की बात नहीं है न ही सिर्फ यूरोपियों की।औरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी बुधवार 21 सितंबर की सुबह अमेरिका की पांच दिन की यात्रा पर निकल रहे हैं। इस दौरान विदेशी निवेशकों व उद्योगपतियों से बातचीत के अलावा वे विश्व बैंक व अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की सालाना बैठकों में हिस्सा लेंगे। इस दौरान वहां ब्रिक्स देशों (ब्राजील, भारत, चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका) के वित्त मंत्रियों की एक बैठक भी होगी। साथ ही जी-24 की अध्यक्षता भारत को सौंपी जाएगी। वित्त मंत्री शनिवार 25 सितंबर को अमेरिकाऔरऔर भी

हमारे राष्ट्रीय सांख्यिकीय संगठन (एनएसओ) के तार दुनिया के तमाम संगठनों से जुड़े हुए हैं। इनमें विश्‍व बैंक, अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), अंतरराष्‍ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ), एशिया विकास बैंक (एडीबी), विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ), ओईसीडी के साथ ही संयुक्त राष्ट्र से जुड़े यूनेस्‍को व यूएनीडपी जैसे कई संगठन शामिल हैं। सांख्‍यिकीय और कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक एनएसओ मूलतः उसका सांख्यिकीय खंड है। वैसे तो इन अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों में काम करनेऔरऔर भी

एक बार फिर मैंने बाजार को जबरदस्त निराशा के आगोश में डूबा हुआ देखा। इतनी निराशा कि लोगों को केवल घाटी दिख रही है, ठीक वहीं से उठता पहाड़ नहीं दिख रहा। माना कि वैश्विक मसलों ने भारतीय बाजार को घेर रखा है और सेंसेक्स को 16,000 तक गिरा डाला है। लेकिन यह ऐसा स्तर है जहां से बहुतों को भारतीय शेयरों में कायदे का मूल्य नजर आ रहा है। यही वजह है कि आज निफ्टी मेंऔरऔर भी

एक तरफ केंद्र की यूपीए सरकार अण्णा हज़ारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को न संभाल पाने से परेशान हैं, दूसरी तरफ शेयर बाजार की गिरावट व पस्तहिम्मती ने सरकार के प्रमुख कर्णधार व संकटमोचक वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को हिलाकर रख दिया है। दिक्कत यह भी है कि हमारे शेयर बाजार की गिरावट की मुख्य वजह चूंकि वैश्विक हालात हैं, इसलिए वित्त मंत्री ढाढस बंधाने के अलावा कुछ कर भी नहीं सकते। शुक्रवार को वि‍त्‍त मंत्री प्रणवऔरऔर भी

भारत पर मार्च 2011 तक चढ़े कुल विदेशी ऋण की मात्रा 305.89 अरब डॉलर है। यह साल भर पहले मार्च 2010 तक के विदेशी ऋण 261.04 अरब डॉलर से 17.2% ज्यादा है। देश के पास फिलहाल 310.56 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। 305.89 अरब डॉलर के मौजूदा विदेशी ऋण में 240.90 अरब डॉलर के ऋण लंबी अवधि और 64.99 अरब डॉलर के ऋण छोटी अवधि के हैं। इसमें आईएमएफ से लिया ऋण 6.31 अरब डॉलर, औरऔर भी

ऋण के बोझ और तरलता के संकट से जूझ रहे यूरो ज़ोन के देशों को उबारने के लिए यूरोपीय संघ 700 अरब यूरो का स्थाई वित्तीय सुरक्षा पैकेज देने को राजी हो गया है। माना जा रहा है कि ऋण संकट के चलते इन देशों पर मंडराते राजनीतिक अस्थायित्व के बादल छंट जाएंगे। नया राहत कोष, यूरोपीय स्थिरता प्रणाली (ईएसएम) 440 अरब यूरो के वर्तमान अस्थाई वित्तीय कवच, यूरोपीय वित्तीय स्थिरता कोष (ईएफएसएफ) की जगह ले लेगा।औरऔर भी