अवरुद्ध रंध्रों को खुल जाने दो। बंधे हुए बांधों को टूट जाने दो। ठहरे हुए झरनों को गिर जाने दो। आंधी आने को है। अबाध ऊर्जा का धमाका होने को है। सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। अवाम उठने को है। देश जगने को है।
2010-10-24
अवरुद्ध रंध्रों को खुल जाने दो। बंधे हुए बांधों को टूट जाने दो। ठहरे हुए झरनों को गिर जाने दो। आंधी आने को है। अबाध ऊर्जा का धमाका होने को है। सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। अवाम उठने को है। देश जगने को है।
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अच्छे लोग जब शासन करने का अपना कर्तव्य छोड़ देते हैं तो उन्हें दुराचारियों के शासन की सजा भुगतनी पड़ती है।