अध्यापकों का कर्तव्य है कि वे बच्चों के मन से इस डर को निकालें कि विज्ञान कठिन विषय है। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने राजधानी दिल्ली में आयोजित एक समारोह में कहा कि अध्यापकों को छात्रों में विज्ञान की योग्यता का पता लगाते समय उनकी प्रतिभा को बाहर लाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने मंगलवार को ‘अनुसंधान के लिए विज्ञान में नवप्रवर्तन की खोज’ से संबंधित इन्सपायर पुरस्कार देते हुए दो अहम बातों की तरफ ध्यान आकर्षित किया। इनमें अध्यापकों में कार्यकुशलता बढ़ाने और स्कूलों में पर्याप्त सुविधाएं देना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान की शिक्षा देने वाले अधयापकों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के साथ-साथ रिफ्रेशर कोर्स होना चाहिए। इसके अलावा विज्ञान की अच्छी शिक्षा देने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में पर्याप्त प्रयोगशालाएं होनी चाहिए।
श्रीमती पाटिल ने कहा कि 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों की जरूरत है। जो देश अनुसंधान और विकास पर ध्यान दे रहे हैं वे आनेवाले समय में अग्रणी होंगे। उन्होंने महान वैज्ञानिकों सर इसाक न्यूटन, एलबर्ट आइंसटाइन, मैडम क्यूरी और उनकी पुत्री इरीन क्यूरी का जिक्र करते हुए कहा, “आपको ऐसे उदाहरणों से प्रेरणा मिलेगी।” राष्ट्रपति ने कहा कि अभिभावक और अध्यापक विज्ञान में रूचि जगाने के लिए प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।
बता दें कि इन्सपायर पुरस्कार योजना 10 से 15 वर्ष आयु वर्ग के दस लाख बच्चों को छोटी विज्ञान परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। स्कूली बच्चों की पहली राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी दिल्ली में तीन दिन तक चलाई गई। इस योजना में देश भर के स्कूलों से दो लाख से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया और 750 को राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी के लिए चुना गया।