भारतीय रुपया शुक्रवार को डॉलर के सापेक्ष कमजोर होकर 49.825 रुपए तक चला गया। लेकिन बाद में 49.50 रुपए पर आकर थम गया। रिजर्व बैंक की संदर्भ दर आज डॉलर के सापेक्ष 49.663 रुपए रही। जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक अगर बाजार में डॉलर नहीं बेचता तो रुपए की विनिमय दर कभी भी 50 रुपए के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर सकती है। लेकिन रिजर्व बैंक फिलहाल ऐसे किसी भी हस्तक्षेप के लिए तैयार नहीं है।
अमेरिका यात्रा पर गए भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने न्यूयॉर्क में कहा कि फिलहाल इस मामले में किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। उन्होंने एक भारतीय टेलीविजन को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि फिलहाल तो विनिमय दर निर्धारित करने के लिहाज से किसी तरह के हस्तक्षेप की जरूरत नजर नहीं आती। ऐसा करना नीतिगत रवैये में बदलाव का सूचक होगा, जो हम इस समय नहीं करने जा रहे हैं।
गोकर्ण का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि अंतरमुद्रा बाजार में रुपया डॉलर के सापेक्ष 28 महीने के निचले स्तर तक टूट चुका है। रुपया 49.90 रु प्रति डॉलर तक जा चुका है जो 14 मई 2009 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
अर्थशास्त्रियों व विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि रिजर्व बैंक को विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि रूपए के मूल्य में भारी गिरावट थामी जा सके। फिलहाल रुपए में गिरावट नीति नियामकों के लिए चिंता का कारण बन गई है क्योंकि इससे मुद्रास्फीति और बढ़ सकती है। गोकर्ण ने कहा कि रिजर्व बैंक हस्तक्षेप करता भी है तो वह बाजार में उतार-चढाव को शांत करने तक सीमित होगा।