रिजर्व बैंक ने दिया ब्याज दरों को थामने का संकेत

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव का कहना है कि रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था को बढ़ने में मदद देने के लिए ब्याज दरें घटाने की जरूरत को समझता है। वे बुधवार को जयपुर में एक समारोह के दौरान बोल रहे थे। इसी समारोह में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने पहले कहा था कि अगर मुद्रास्फीति नीचे आती है तो केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति पर अपना रवैया बदल सकता है।

गोकर्ण का कहना था कि आगे ब्याज दरों का बढ़ना या न बढ़ना कीमतों की स्थिति पर निर्भर करेगा। जयपुर में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “ब्याज दरों का बढ़ना महंगाई की स्थिति से तय होगा। हमारे लिए ब्याज दरें बढ़ाना अपने-आप में साध्य नहीं है। जहां तक हम देखते हैं कि समस्या बनी हुई है, वहां तक ब्याज दरें बढ़ाने का आधार है। लेकिन जब हम देखते हैं कि समस्या खत्म होने लगी है तो हम अपना तरीका बदल सकते हैं।”

लेकिन सबसे बड़ी समस्या तो यही है कि मुद्रास्फीति थमने का नाम नहीं ले रही है। खाद्य मुद्रास्फीति की दर 24 सितंबर को खत्म हफ्ते में 9.41 फीसदी रही है। सितंबर महीने की कुल मुद्रास्फीति का आंकड़ा शुक्रवार, 14 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे के आसपास जारी किया जाएगा। इसके 9.70 फीसदी रहने का अनुमान है। अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित सकल मुद्रास्फीति का अनंतिम आंकड़ा 9.78 फीसदी का रहा है।

रिजर्व बैंक दूसरी तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा करीब दो हफ्ते बाद मंगलवार, 25 अक्टूबर को पेश करेगा। कुछ जानकारों का कहना है कि हो सकता है कि औद्योगिक विकास दर पर पड़ते नकारात्मक असर के चलते रिजर्व बैंक इस बार ब्याज दरें न बढाए। वह मार्च 2010 से 16 सितंबर 2011 तक 12 बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है। इस समय रेपो दर 8.25 फीसदी और रिवर्स रेपो दर 7.25 फीसदी है। रेपो दर पर रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को उधार देता है, जबकि रिवर्स रेपो दर पर वह बैंकों का धन अपने पास रखता है।

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