टाटा उद्योग समूह के प्रमुख रतन टाटा ने अपना राजनीतिक रंग जाहिर कर दिया है। उन्होंने जहां प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व कांग्रेस पार्टी का बचाव किया है, वहीं कहा है कि दूरसंचार नीति की खामियों के लिए बीजेपी भी दोषी है। उन्होंने मोबाइल फोन सेवा कंपनियों को रेडियो तरंगों के आवंटन में कथित घोटाले पर चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के दौर में दखल करते हुए गुरुवार को खुलकर कहा कि जीएसएम मोबाइल सेवा कंपनियों की ओर से इस सारे विवाद में ‘राजनीति की जा रही है’ और प्रधानमंत्री व उनकी पार्टी (कांग्रेस) को बदनाम करने की कोशिश चल रही है।
टाटा ने इसी संदर्भ में सांसद राजीव चंद्रशेखर की कटु आलोचना की है, जिन्होंने हाल में एक खुला पत्र लिख कर कहा था कि दूरसंचार विभाग के निर्णयों से टाटा समूह की कंपनी को सबसे बड़ा फायदा हुआ है। राजीव चंद्रशेखर खुद एक उद्योगपति भी हैं। टाटा ने सांसद चंद्रशेखर को लिखे खुले जवाबी पत्र में जीएसएम मोबाइल सेवा कंपनियों को सीधी चुनौती देते हुए कहा कि उल्टे इन कंपनियों ने ‘मुफ्त में स्पेक्ट्रम हथिया रखा है।’ उन्होंने कहा है, ‘‘हाल की (2008 की) नीति ने दूरसंचार क्षेत्र में उस ताकतवर गुट को तोड़ा जिसने इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को रोक रखा था और नीतियों को लागू करने में देरी करवा रहा था।’’
इस समय सुप्रीम कोर्ट में में गहन समीक्षा का विषय बनी मौजूदा यूपीए सरकार की स्पेक्ट्रम आवंटन नीति का समर्थन करते हुए टाटा समूह के प्रमुख ने कहा, ‘‘हमें यह ध्यान देना चाहिए कि दूरसंचार नीति में बहुत-सी उल्टी-पल्टी चीजें बीजेपी के शासनकाल में हुई हैं।’’
जितने बेईमान रतन टाटा है उतने ही राजीव चन्द्रशेखर, भाजपा की बेईमानी को ए राजा ने शिखर पर पहुंचाया और मनमोहन सिंह इन सारे बेईमानों के सरदार बने बैठे रहे. यह मानना मुश्किल है कि मनमोहन की जेब में कुछ न गया हो..
राजनीति अपनी इमेज को चमका कर रखने का नाम है और मनमोहन इसमें महारथी है.
सारे बेईमान एक दूसरे की पोल खोलें तो जनता का तो भला होगा ही