लुंज-पुंज नहीं रहेगा पुंज लॉयड

पुंज लॉयड का शेयर (बीएसई – 532693, एनएसई – PUNJLLOY) दो महीने पहले 15 अक्टूबर को ऊपर में 134.20 रुपए तक गया था। इसके बाद गिरते-गिरते 26 नवंबर को 81 रुपए की तलहटी पर चला गया। अब बीते हफ्ते 16 दिसंबर तक ऊपर की दिशा पकड़कर 106.30 रुपए पर पहुंच गया। उसमें बढ़त का ताजा सिलसिला 10 दिसंबर को शुरू हुआ है। उसी दिन उसने थाईलैंड की कंपनी पीटीटी पब्लिक लिमिटेड से 1292 करोड़ और भारत की पारादीप रिफाइनरी से 169 करोड़ रुपए का नया ऑर्डर मिलने की घोषणा की थी। इसके असर से उसका शेयर 4.75 फीसदी बढ़ गया था। बता दें कि इस समय कंपनी के पास कुल 28,526 करोड़ रुपए के अग्रिम ऑर्डर हैं।

असल में 2008-09 में 292.91 करोड़, 2009-10 में 138.91 करोड़ और जून 2010 की तिमाही में 28.31 करोड़ रुपए का घाटा उठाने के बाद कंपनी को सितंबर 2010 की तिमाही में 21.97 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ है। यह कंपनी अब विकास की राह पर तेजी से बढ़ रही है। इसलिए जिन्होंने भी इसके शेयर पहले ज्यादा भाव पर खरीदे हैं, उन्हें इसे कम से कम चार महीने होल्ड करके रखना चाहिए और जिन्होंने नहीं खरीदा है, वे इसमें निवेश कर सकते हैं। कंपनी का शेयर इसी साल 15 जनवरी को 226.45 रुपए का शिखर बना चुका है।

यह 1989 में बनी इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनी है। ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट व कंस्ट्रक्शन) क्षेत्र में आय के लिहाज से दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 7.21 रुपए है और उसका शेयर 106.30 रुपए के भाव के हिसाब से इस समय 14.74 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि उसकी बुक वैल्यू 107.05 रुपए है। कंपनी ने पिछले पांच सालों से लगातार लाभांश भी दिया है। जाहिर है इसमें निवेश पूरी तरह सुरक्षित है।

कंपनी का दायरा देश ही नहीं, विदेश तक फैला हुआ है। 2006-07 में उसने सिंगापुर की कंपनी सेम्बावांग इंजीनियर्स एंड कंस्ट्रक्चर्स (एसईसी) और ब्रिटेन की सिमॉन कार्व्स लिमिटेड की पूरी की पूरी इक्विटी खरीद ली। इससे कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में जहां कंपनी की क्षमता बढ़ गई, वहीं उसका दायरा भी व्यापक हो गया। वह मुख्यतया चार सेगमेंट में सक्रिय है – ऑयल व गैस, पेट्रोकेमिकल्स, सिविल व इंफ्रास्ट्रक्चर और बिजली।

क्रिसिल की एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन सालों में पुंज लॉयड ने ऑर्डर बुक और भौगोलिक मौजूदगी के मामले में जबरदस्त प्रगति की है। कंपनी के पास 2005-06 में 4280 करोड़ रुपए के ऑर्डर थे, जबकि 2009-10 में उसकी ऑर्डर बुक 27,700 करोड़ रुपए की थी। इस तरह चार सालों में उसके ऑर्डर 59 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़े हैं। उसकी वैश्विक उपस्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2009-10 में उसके ऑर्डर का तकरीबन 30 फीसदी हिस्सा (7770 करोड़ रुपए) अफ्रीकी देश लीबिया से आया था। बिजली के सेगमेंट में वह शुरुआत में ताप व परमाणु बिजली में सक्रिय थी। अब उसने सिंगापुर की की कंपनी डेल्टा सोलर के साथ संयुक्त उद्यम, पुंज लॉयड डेल्टा रिन्यूवेबल्स बनाकर सौर ऊर्जा में भी कदम रख दिया है।

2008-09 और 2009-10 में कुछ परियोजना के समय पर न पूरा हो पाने की वजह से उनकी लागत बढ़ गई और कंपनी को घाटा उठाना पड़ा। उसके ऊपर मार्च 2010 तक 4456.65 करोड़ रुपए का ऋण था। इधर हाल ही में उसने पिपावाव शिपयार्ड (पीएसएल) में अपनी पूरी 19.43 फीसदी हिस्सेदारी एसकेआईएल इंफ्रा को 656.40 करोड़ रुपए में बेच दी है। इस सौदे में उसे 307.1 करोड़ रुपए का फायदा हुआ है जिसका इस्तेमाल वह अपने ऋण को उतारने में करेगी।

कंपनी के पास कुल 2801.51 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं। उसकी कुल चुकता पूंजी या इक्विटी 66.42 करोड़ रुपए है जो दो रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इक्विटी का 37.12 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है, जबकि उसके 13 फीसदी शेयर एफआईआई और 15 फीसदी शेयर डीआईआई (घरेलू निवेशक संस्थाओं) के पास हैं। राकेश झुनझुनवाला के पास इसके 1.14 फीसदी और एलआईसी के पास 4.59 फीसदी शेयर हैं। कंपनी का स्टॉक बीएसई के एक समूह और बीएसई-200 सूचकांक में शामिल है। इसलिए उस पर कोई सर्किट ब्रेकर नहीं है और उसमें डेरिवेटिव सौदे भी होते हैं।

आज के लिए इतना ही। कल हम इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की एक और प्रमुख कंपनी गैमन इंडिया की चर्चा करेंगे, जिसका शेयर बीते हफ्ते बीएसई में 170.50 रुपए पर बंद हुआ है।

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