आरटीआई में मांगी सूचनाओं पर कुछ बैंक यीर-घाट तो कुछ वीर-घाट

सरकारी बैंकों में कर्मचारियों द्वारा की गई धोखाधड़ी के मामले में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत मांगी गई सूचना का विभिन्न बैंकों ने अलग अलग नजरिया अपनाते हुए जबाव दिया। कुछ बैंकों ने तो यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मांगी गई सूचना बैंकों में तैयार नहीं की जाती है।

समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट की एक खबर के अनुसार, कुछ बैंकों ने कहा है कि धोखाधडी से जुड़े आईपीसी की धारा 420 के तहत आनेवाले मामले आपराधिक जांच एजेंसियों के अधीन आते हैं, बैंक के पास इनकी सूचना उपलब्ध नहीं है। लेकिन इनमें एक बैंक ऐसा भी है जिसने ऐसे मामलों में अपने 25 कर्मचारियों की नाम और मामले की तिथि के साथ सूचना उपलब्ध करायी है।

दिल्ली के आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से बैंकों में कर्मचारियों की धोखाधडी और ऐसे मामलों में कारवाई से जुडी सूचनाएं मांगी थीं। मंत्रालय ने सूचना के लिए ये प्रश्न सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों को प्रेषित कर दिए थे। एक सवाल यह था कि बैंकों में ऐसे कर्मचारियों की संख्या क्या है, जिनके विरुद्ध धारा 420 के तहत मुकद्दमा चल रहा है। ऐसे कर्मचारियों के नाम और मामले के ब्यौरे सहित जानकारी मांगी गई थी।

देना बैंक ने सवाल के जवाब में कहा ‘‘धारा 420 के तहत केवल सरकार अथवा पुलिस अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज करती है।’’ लेकिन सरकारी क्षेत्र के ही कॉरपोरेशन बैंक ने सवाल का विस्तृत उत्तर देते हुए कहा ‘‘आज की तारीख में धारा 420 के तहत कर्मचारियों के खिलाफ कुल मुकदमे 33 हैं।’’ बैंक ने कर्मचारियों की संख्या और मामलों का वर्षवार ब्यौरा भी दिया है।

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