पावर ऑफ आइडियाज का यज्ञ संपन्न, अब टेक-ऑफ की तैयारी

अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनना आसान है। लेकिन अपने बारे में खबर लिखना बहुत मुश्किल है। खबर तो दूसरों को आपके बारे में लिखनी चाहिए। लेकिन आज की अगड़म-बगड़म और शोर-शराबे में खबर लिखनेवाले इतने उलझे हैं कि वे ज्यादा मिर्च, ज्यादा नमक और ज्यादा चीनी खाकर बेस्वाद हो चुकी जीभ को तर करनेवालों को भी मात देने लगे हैं। इसलिए अपनी खबर आप तक पहुंचाना मेरा फर्ज और मजबूरी दोनों बन जाता है। वैसे, भी आज सेल्फ-मार्केटिंग और आत्म-प्रक्षेपण का जमाना है। आप कहीं भी काम करें, अगर अपने काम और प्रतिभा का भौकाल नहीं बनाते तो आपके काम का श्रेय दूसरे लूट ले जाते हैं और आप किनारे पड़े कुढ़ते रहते हैं।

बात मुद्दे की। अर्थकाम का संस्थापक व संपादक होने के नाते मुझे बीते शनिवार को पावर ऑफ आइडियाज की तरफ से सम्मानित किया गया। सम्मान देश की सबसे संभावनामय 74 बिजनेस आइडियाज में शुमार होने का। साथ ही विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से सांकेतिक समर्थन के रूप में इसमें से 45 आइडियाज को अनुग्रह राशि भी दी गई (जी हां, अर्थकाम इनमें से एक है)। शनिवार को राजधानी दिल्ली के बाहरी छोर पर बने रैडिसन होटल में कनवोकेशन समारोह हुआ। करीब तीन घंटे चले समारोह में इनफोसिस के संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने हम सभी को बिजनेस की सफलता के सूत्र बताए। हमारी शंकाओं व सवालों का समाधान पेश किया।

मूर्ति ने बड़े मार्के की बात कही कि अगर दमदार बिजनेस आइडिया को बाजार सही तरीके से स्वीकार नहीं करता, आप अपनी बात लोगों तक सही तरीके से पहुंचा नहीं पाते तो आपका आइडिया समझिए कि मर गया। इसलिए कुछ भी करने से पहले टेस्ट मार्केटिंग जरूरी है। आपस में गुंथी हुई ऐसी टीम भी जरूरी है जो आपके उत्पाद या सेवा की टेक्नोलॉजी से लेकर, फाइनेंस व अंतिम उपभोक्ता तक के मानस को समझे। टीम में अराजकता नहीं, बल्कि एक निरंतर मजबूत होते वैल्यू सिस्टम की जरूरत है। टीम के सदस्यों में आपसी विश्वास होना चाहिए।

साथ ही आइडिया को सफल होने के लिए धन भी अपरिहार्य है। लेकिन इन सारे पक्षों में धन सबसे बाद में आता है। बाकी चीजें दुरुस्त हों तो धन किसी न किसी रूप में बहकर खुद चला आता है। आपके दिमाग में हमेशा यह बात रहनी चाहिए कि आपके काम से आम लोगों से लेकर आपके प्रियजनों तक का जीवन कैसे बेहतर हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि कभी-कभी कोई आइडिया वक्त से पहले आ जाता है तो वो तात्कालिक तौर पर नाकाम हो जाता है। लेकिन वही आगे जाकर माकूल वक्त पर खिलने, फलने-फूलने लगता है।

उन्होंने कहा कि भारत करीब 400 साल बाद अपने रंग में आ रहा है। उद्यमशीलता का संभावनाएं बढ़ गई हैं। इसके लिए माहौल ज्यादा माकूल हो गया है। हर क्षेत्र में कुछ न कुछ नया करने की जरूरत है। आज उद्यमशीलता बदलाव के एजेंट की भूमिका में आ गई है। इन्क्लूसिव ग्रोथ या समावेशी विकास की बात की जा रही है। लेकिन हकीकत यह है कि आज भी देश के 65 फीसदी लोग कृषि पर निर्भर हैं। इसके लिए आज ज्यादा से ज्यादा लोगों को कृषि से निकालकर मैन्यूफैक्चरिंग व सेवा उद्योग में लाना होगा।

इनफोसिस प्रमुख ने कहा कि कुशल प्रबंधन का मतलब उपलब्ध संसाधनों का महत्तम इस्तेमाल करना होता है। इस पर खटाक से मेरे दिमाग में सवाल उठा कि लोकतंत्र का मतलब भी तो देश के प्राकृतिक व मानव संसाधनों का महत्तम इस्तेमाल होता है। इस मानक पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का लोकतंत्र कहां खड़ा है? क्या हमारे यहां आर्थिक विकास के साथ राजनीतिक सुधारों की भी जरूरत नहीं है?

मैंने यह सवाल अंग्रेजी में लिखकर मंच पर भेजा भी। लेकिन तब तक समारोह का वक्त खत्म हो चुका था और मूर्ति निकलने की तैयारी में थे। जवाब नहीं मिल सका। लेकिन इस सवाल की टिक-टिक बदस्तूर जारी है। अर्थकाम टेक-ऑफ की तैयारी में है। आप के सहयोग से हम अर्थ और काम (रोजी-रोजगार) के साथ ही राजनीति के सवालों का भी जवाब तलाशेंगे। बस, यूं ही सहयोग बनाए रखें। आप में से बहुतों ने अर्थकाम के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने की इच्छा जताई है। जल्दी ही आपके सहयोग को व्यवस्थित रूप दिया जाएगा। बिना किसी बाहरी संसाधन और सहयोग से सात महीने पहले यह कारवां चलना शुरू हुआ। अब तो इसे बेहद बड़े मंच से मान्यता मिल गई है। एंजेल इनवेस्टर और वेंचर कैपिटल के लोग भी हाथ पकड़ने की कमशकश में हैं। राह कठिन है, मंजिल दूर है, लेकिन सफलता सुनिश्चित है क्योंकि इस सफलता से 55 करोड़ भारतवासियों की शक्तिसंपन्नता का बड़ा नहीं तो आंशिक वास्ता जरूर है।

4 Comments

  1. BADHAI HO SIR, GOOD LUCK TO ARTHKAM & ALL TEAM MEMBERS.

  2. CONGRATULATION, ANIL BHAI AND ALL ARTHKAAM TEAM MEMBERS.

  3. apne mujh jaise anek hindi bhashi small investor ko jankari ka bahut sahara diya hai jiska aapko aur apki team ko kitna bhi dhanyavad diya jaye kam hi rahega.

  4. अनिल भाई – आप सब को बहुत बहुत बधाई, आगे भी और बहुत ऐसे अवसर आएं

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