बोलेंगे अरेवा के अच्छे नतीजे

अरेवा टी एंड डी इंडिया लिमिटेड के नाम में टी एंड डी का मतलब ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन से। कंपनी मुख्यतः बिजली के पारेषण और वितरण से जुड़े उपकरण बनाती है। कंपनी ने शनिवार को ही सितंबर तिमाही के जबरदस्त नतीजे घोषित किए हैं। उसने 1047.85 करोड़ रुपए की आय पर 62.95 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि साल भर पहले की सितंबर तिमाही में उसकी आय 750.95 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 22.40 करोड़ रुपए था। इस तरह सालाना तुलना में उसकी आय 39.54 फीसदी और शुद्ध लाभ 181 फीसदी बढ़ा है।

अगर ऑपरेटरों का कोई नकारात्मक खेल नहीं हुआ तो तय मानिए कि आज बाजार खुलने पर कंपनी के शानदार नतीजों का असर उसके शेयर पर पड़ेगा। शुक्रवार को इसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 522275) में 294 रुपए और एनएसई (कोड – AREVAT&D) में 296.30 रुपए पर बंद हुआ है। आज इसके 300 रुपए से ऊपर खुलने की उम्मीद है और पूरी गुंजाइश है कि यह जल्दी ही 318 रुपए तक चला जाएगा। असल में यह गणना बाजार के कुछ आला खिलाड़ियों की है जो इसे आज ही यहां तक उठाने की कोशिश में लगे हैं। वैसे भी यह शेयर बीते माह 11 अक्टूबर तो 331.45 रुपए पर 52 हफ्ते के शिखर पर जा चुका है। कंपनी का स्टॉक ए ग्रुप और बीएसई-200 सूचकांक में शामिल है। इसलिए 318-320 रुपए तक पहुंचना इसके बाएं हाथ का खेल है।

अरेवा 122 साल पहले 1878 में फ्रांस से शुरू हुई बहुराष्ट्रीय कंपनी है। तमाम अधिग्रहण और विलय से होते हुए इसने अपना साम्राज्य बढ़ाया है और इस समय दुनिया के सौ से ज्यादा देशों में मौजूद है। 1928 में यह अल्सथम बनी। 1988 में जर्मन कंपनी श्लूमबर्गर इंडस्ट्री रिलेज व ट्रांसफॉर्मर डिवीजन का अधिग्रहण किया। उसी साल जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी (जीईसी) के साथ विलय के बाद यह जीईसी-अल्सथम बनी। 2004 में अल्सथम टी एंड डी को समूह में शामिल करने के बाद यह अरेवा टी एंड डी के नाम तक पहुंची है। उसके बाद भी 2009 तक कई विलय व अधिग्रहण इसने किए हैं।

अरेवा टी एंड डी इंडिया अरेवा (फ्रांस) की भारतीय सब्सिडियरी है। यूं तो इसकी शुरुआत भारत में 1911 में जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी ऑफ इंडिया (जीईसीआई) के रूप में हुई थी। लेकिन इसका मौजूदा नामकरण 2004 में हुआ है। कंपनी का रजिस्टर्ड ऑफिस पहले कोलकाता में था, अब दिल्ली में है। कंपनी की सात उत्पादन इकाइयां उत्तर प्रदेश (दो), तमिलनाडु (तीन), पश्चिम बंगाल (एक) और गुजरात (एक) में हैं।

कंपनी की कुल इक्विटी पूंजी 47.82 करोड़ रुपए है जिसका 72.18 फीसदी हिस्सा फ्रांस की मूल कंपनी के पास है। केवल बाकी बचा 27.82 फीसदी हिस्सा ही पब्लिक के पास है। इसमें भी 11.84 फीसदी हिस्सा घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) और 0.79 फीसदी हिस्सा एफआईआई के पास है। दोनों ने सितंबर तिमाही में अपनी हिस्सेदारी थोड़ी-थोड़ी बढ़ाई है क्योंकि जून तिमाही में यह हिस्सा क्रमशः 11.79 फीसदी और 0.58 फीसदी था।

सामान्य वित्तीय आधार पर देखें तो कंपनी बहुत आकर्षक नहीं दिखती। उसका ठीक पिछले बारह महीने (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 6.97 रुपए है और उसका शेयर इस समय 42.16 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है जिसे काफी महंगा माना जाएगा। उसकी प्रति शेयर बुक वैल्यू भी केवल 40.32 रुपए है। लेकिन कंपनी के इतिहास-भूगोल, विलय व अधिग्रहण में उसकी आक्रामकता और देश में बिजली की भारी जरूरत को देखते हुए लंबे समय के लिए इसमें निवेश किया जा सकता है। तुरत-फुरत फायदा कमाने की चाह वाले निवेशक भी इसे आजमा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *