मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए पिछले डेढ़ साल में दस बार नीतिगत दरों में वृद्धि करने के बाद रिजर्व बैंक ने कहा है कि महंगाई थामने के लिये उसके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। शुक्रवार को दिल्ली में उद्योग संगठन एसोचैम के एक कार्यक्रम में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के सी चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘आप सभी चाहते हैं कि मुद्रास्फीति नीचे आनी चाहिए। न तो वित्त मंत्रालय और न ही रिजर्व बैंक के पास ऐसी कोई जादू की छड़ी है जिससे महंगाई को नीचे लाया जा सके।’’
बता दें कि मई महीने में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 9.06 फीसदी रही है। रिजर्व बैंक की कड़ी मौद्रिक नीति तथा सरकार के कदमों के बावजूद मुद्रास्फीति लगातार ऊंची बनी हुई है। रिजर्व बैंक ने इस साल की मौद्रिक नीति में मार्च 2012 तक मुद्रास्फीति के 6 फीसदी पर आ जाने का अनुमान जताया है।
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि मौजूदा मुद्रास्फीति की प्रमुख वजह वस्तुओं की कम आपूर्ति है और केवल कृषि उत्पादकता बढ़ाकर और आधुनिक प्रौद्योगिकी के जरिए ही महंगाई की उंची दर पर अंकुश लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह कहने के बजाय कि रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति नीचे लाने के लिए कदम उठाने चाहिए, हमें उत्पादकता बढ़ानी होगी तथा सेवा लागत को कम करना होगा, इसी से महंगाई दर नीचे आएगी, अन्यथा यह नीचे नहीं आएगी।’’
इससे पहले, इसी कार्यक्रम में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि अल्पकाल में मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए कुल मांग को कम करना अहम है। यह हमारे लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए किए जा रहे मौद्रिक उपायों से आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ सकता है। रिजर्व बैंक मार्च 2010 से लेकर अब तक दस बार प्रमुख नीतिगत दरों में वृद्धि कर चुका है। उसने गुरुवार, 16 जून को ही रेपो और रिवर्स रेपो दर, दोनों में 0.25 फीसदी वृद्धि की।