केन्द्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने स्पष्ट किया है कि इस बार के बजट में सिलेसिलाए कपड़ों और परिधानों पर लगाया गया उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) दर्जी को नाप देकर सिलाए गए कपड़ों अथवा ऑर्डर के अनुसार सिले गए कपड़ों, धोतियों या फिर साड़ियों पर लागू नहीं है।
बजट में ब्रांडेड रेडीमेड गारमेंट और मेडअप्स पर 10 फीसदी की दर से उत्पाद शुल्क लगाया गया है। सीबीईसी ने इस शुल्क के संबंध में स्पष्टीकरण के लिए गुरुवार को जारी एक विज्ञापन में कहा है कि गारमेंट के खुदरा बिक्री मूल्य के केवल 45 फीसदी पर ही यह शुल्क लागू किया गया है। इस लिहाज से यह शुल्क कपड़े के खुदरा बिक्री मूल्य के सिर्फ 4.5 फीसदी के बराबर बैठेगा।
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने वर्ष 2011-12 के बजट में कर आधार को व्यापक बनाने और प्रस्तावित वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) की जमीन तैयार करने के उदयेश्य से उठाए गए कदमों के तहत रेडीमेड गारमेंट और मेडअप्स पर उत्पाद शुल्क अनिवार्य कर दिया। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा था, ‘‘यह शुल्क केवल ब्रांडेड गारमेंट और मेडअप्स पर ही लागू होगा, दर्जी के सिले कपड़ों अथवा खुदरा ग्राहकों के ऑर्डर पर तैयार कपड़ों पर इसे नहीं लगाया जाएगा।’’
रेडीमेड कपड़ों पर उत्पाद शुल्क लगाए जाने के विरोध में दिल्ली, लुधियाणा, कानपुर और कोलकाता के गारमेंट निर्माताओं ने कई दिन तक प्रदर्शन किया और कामकाज बंद रखा। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से मुलाकात के बाद आंदोलन वापस ले लिया गया है।