यहीं है निर्वाण

निर्वाण कहीं और नहीं, इसी दुनिया, इसी जीवन में मिलता है। यह सम्यक सोच, संतुलित चिंतन और मन की शांति की अवस्था है। दूसरों का कहा-सुना काम आता है, लेकिन सफर हमारा अकेले का ही होता है।

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