गरीबी के आकलन पर बना नया विशेषज्ञ दल

केंद्र सरकार ने देश में गरीबी के आकलन और गरीबों की पहचान के नए तौर-तरीके सुझाने के लिए एक अलग विशेषज्ञ दल बनाने का फैसला लिया है। यह दल प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख डॉ. सी रंगराजन की अध्‍यक्षता में बनाया जाएगा। इसमें कई जानेमाने अर्थशास्त्री शामिल है। इनमें प्रमुख हैं: इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्‍थान के निदेशक डॉ. महेन्‍द्र देव, दिल्‍ली स्‍कूल ऑफ इकॉनोमिक्‍स के पूर्व प्राध्‍यापक डॉ. के सुन्‍दरम, सीएमआईई के प्रमुख डॉ. महेश व्‍यास और योजना आयोग के पूर्व सलाहकार डॉ. के.एल. दत्‍ता शामिल हैं।

बता दें कि इससे पहले तेंदुलकर समिति की सिफारिशों के आधार पर, योजना आयोग ने प्रेस नोट के जरिए 19 मार्च 2012 को गरीबी का आकलन जारी किया है। इसके अनुसार देश में गरीबी का अनुपात, वर्ष 2004-05 में 37.2 फीसदी से घटकर वर्ष 2009-10 में 29.8 फीसदी हो गया। नतीजतन, देश में गरीबों की संख्‍या वर्ष 2004-05 के 40.7 करोड़ से घटकर वर्ष 2009-10 में 35.5 करोड़ रह गई। तेंदुलकर समिति ने 2009 में सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में खर्च की उपयुक्‍तता को मानक स्‍तर से हटाकर पोषण संबंधी करार दिया था।

डॉ. रंगराजन की अध्यक्षता में बन रहे समूह को जो खाम काम करने हैं, वे इस प्रकार हैं। एक, गरीबी रेखा का आकलन करने की मौजूदा विधि की समग्र समीक्षा करना और ये जांच करना कि क्‍या गरीबी रेखा को उपभोग के संदर्भ में तय कर देना चाहिए या अन्‍य विधियां भी प्रासंगिक हैं। यदि ऐसा है तो शहरी और देहाती इलाकों में गरीबी का अनुमान लगाने वाला एक आधार तय करने के लिए क्‍या दोनों को प्रभावी तरीके से जोडा जा सकता है।

दो, राष्ट्रीय सैंपल सर्वे संगठन (एनएसएसओ) पर आधारित उपभोग अनुमान और नेशनल अकाउंटस एग्रिगेट्स से निकली विधि पर असहमति के मुददों की जांच करना और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के लिए केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) द्वारा जारी राज्‍यवार नए उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक का इस्‍तेमाल करते हुए उपभोग गरीबी रेखा के नवीकरण के लिए उपयुक्‍त तरीके का सुझाव देना।

तीन, गरीबी रेखा का आकलन करने के‍ लिए अन्‍य देशों में प्रचलित वैकल्पिक विधियों की समीक्षा और यह संकेत देना कि क्‍या इस आधार पर भारत में गरीबी का आकलन करने के लिए एक खास विधि ईजाद की जा सकती है।  इसमें समय-समय पर इसके नवीकरण के लिए भी विधियां शामिल हैं। और चार, यह सिफारिश करना कि भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए योग्‍यता तय करने में उपर्युक्त तरीके से ईजाद की गई गरीबी के आकलन का कैसे इस्‍तेमाल हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *