कानून से बचने के लिए किए बेनामी सौदों पर हो सकती है दो साल जेल

यूपीए सरकार ने काले धन पर सिविल सोसायटी से लेकर राजनीतिक दलों व आम लोगों के चौतरफा हमले से बचने की कोशिशें तेज कर दी हैं। गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में मौजूदा बेनामी सौदा (निषेध) कानून, 1988 की जगह नया कानून लाने के लिए बेनामी सौदा (निषेध) विधेयक, 2011 को मंजूरी दे दी गई।

अब इस विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा और वहां से पारित होते ही राष्ट्रपति की तरफ से इसे कानून बना दिया जाएगा। नए कानून में साफ प्रावधान हैं कि अगर कोई व्यक्ति कानून को गच्चा देने या कर्ज लौटाने जैसी स्थिति से बचने के लिए बेनामी सौदे करता है तो उसे दो साल तक की जेल हो सकती है।

असल में 1988 में पारित किए गए मौजूदा कानून के कुछ प्रावधानों में इतनी खामियां हैं कि इन पर कभी कायदे से अमल ही नहीं हो पाया। इसे लागू करने के लिए नियम निर्धारित करने की प्रक्रिया के दौरान यह पाया गया कि कानून की कमियों की वजह से नियमों का निर्धारण तब तक संभव नहीं है जब तक कि पुराने कानून को ही निरस्‍त कर एक व्‍यापक कानून न बनाया जाए।

दिल्ली में संवाददाताओं को कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी देते हुए सूचना व प्रसारण मंत्री ने बताया कि ‘‘नए विधेयक में बेनामी लेन देन और बेनामी संपत्ति की परिभाषा का विस्तार किया गया है।” नए विधेयक में बेनामी सौदे व बेनामी संपत्‍ति, प्रतिबंधित बेनामी सौदे, प्रतिबंधित बेनामी सौदे करने के नतीजे और बेनामी कानून के लागू करने की प्रक्रिया को परिभाषित करने के विस्‍तृत प्रावधान हैं।

हिन्‍दू अविभाजित परिवार के किसी बराबर के भागीदार की संपत्‍ति और किसी विश्वस्त व्‍यक्‍ति के अधिकार वाली संपत्‍ति को बेनामी सौदे की परिभाषा से बाहर रखा गया। साथ ही अगर कोई व्‍यक्‍ति अपनी पत्नी या पति, भाई-बहन या ऐसे ही किसी रिश्तेदार के नाम पर अर्जित की गई संपत्‍ति रखता है तो उसे प्रतिबंधित बेनामा सौदा नहीं माना जाएगा। नतीजतन, इन पर दंड का कोई प्रावधान नहीं है।

नए विधेयक के मुताबिक अगर कोई व्‍यक्‍ति किसी कानून के प्रावधान की अवहेलना करने, वैधानिक देनदारी को नजरंदाज करने या लेनदारों, संपत्‍ति के मालिक, बेनामीदार के भुगतान को नजरंदाज करने के उद्देश्‍य से खुद बेनामी सौदा करता है या किसी दूसरे को ऐसा बेनामी सौदा करने के लिए उकसाता है तो उसे कम से कम छह महीने की जेल की सज़ा का प्रावधान है जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है। साथ ही इसके ऊपर जुर्माना भी लगाया जाएगा।

ऐसी किसी भी बेनामी संपत्‍ति को कुर्क भी किया जा सकता है। नया कानून अधिकारियों को बेनामी सौदों का पता लगाने और सम्बद्ध संपत्ति को कुर्क करने का अधिकार देता है। बता दें कि बेनामी सौदे उन सौदों को कहा जाता है जिनमें फर्जी नामों में संपत्ति को डालकर काले धन को इधर-उधर किया जाता है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब इस विधेयक के संसद के मानसून सत्र में पेश करने का रास्ता साफ हो गया है।

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