दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने भले ही 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रूपए के नुकसान संबंधी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के आकलन को गलत बताया हो लेकिन इसे न तो सुप्रीम कोर्ट और न ही कैग ने कोई तवज्जो दी है। कैग का कहना है कि वह संसद को सौंपी अपनी रिपोर्ट पर कायम है, जबकि सुप्रीम ने सिब्बल के बयान पर यह कहते हुए संज्ञान नहीं लेने से इनकार कर दिया कि यह रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है।
कैग के प्रवक्ता ने सोमवार को राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं को बताया कि वे 2जी स्पेक्ट्रम पर अपनी रिपोर्ट पर शत-प्रतिशत कायम हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट मे सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि कैग ने अपनी रिपोर्ट में राजकोष को हुए नुकसान की राशि 1.76 लाख करोड़ रूपए बताई है जिस पर सिब्बल ने यह कह कर विवाद उठाया है कि यह आकलन गलत है।
इस पर न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और ए के गांगुली की पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर संज्ञान नहीं ले सकते क्योंकि यह रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है।’’ पीठ ने 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस हासिल करनेवाली कंपनियों द्वारा नियमों का पालन करने में कथित विलंब के मुद्दे पर दूरसंचार क्षेत्र के सर्वोच्च नियामक प्राधिकरण ट्राई की खामोशी पर भी सवाल उठाया है।
पीठ ने कहा, ‘‘ट्राई ने कार्रवाई क्यों नहीं की। करीब एक साल सात महीने तक यह खामोश क्यों रहा? ट्राई को दूरसंचार क्षेत्र और उपभोक्ता के संदर्भ में सर्वोच्च नियामक माना जाता है। यह क्या कर रहा था?’’