माइक्रो टेक्नोलॉजीज (इंडिया) लिमिटेड की कीमत बाजार अभी नहीं समझ रहा। उसकी बुक वैल्यू 284.93 रुपए है, जबकि शेयर चल रहा है 206.75 रुपए पर। उसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर भी बुक वैल्यू से कम 228.60 रुपए रहा है। कंपनी ने 2009-10 में 310.22 करोड़ रुपए की आय पर 63.64 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था और उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 57.92 रुपए था। जून 2010 की तिमाही में उसने 82.39 करोड़ रुपए की आय पर 15.69 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हासिल किया है। उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस 47.44 रुपए है और उसका शेयर इससे मात्र 4.36 गुना या पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।
ऐसा भी नहीं कि कंपनी के साथ कोई बुनियादी खोट है या वह किसी बड़े दबाव से गुजर रही है। इसके विपरीत वह लगातार कुछ न कुछ नया हासिल कर रही है। अभी तीन दिन पहले 19 अक्टूबर को ही उसने इस्राइल की एक कंपनी के सहयोग से भारत में अपने तरह का अनोखा ‘इंटरनेशनल कमांड एंड कंट्रोल सेंटर’ शुरू करने की घोषणा की है। यह कंट्रोल सेंटर मोबाइल फोन, वाहन, घर व लैपटॉप जैसी चल-अचल संपत्तियों की रिमोट से निगरानी कर सकता है और उनकी सुरक्षा में मददगार होता है।
जैसा कि आपको अंदाज लग ही गया होगा, माइक्रो टेक्नोलॉजीज (बीएसई कोड – 532494, एनएसई कोड –MICROTECH) आधुनिक सुरक्षा तकनीक से जुड़ी आईटी कंपनी है। उसका स्लोगन है – आपकी सुरक्षा, हमारा सरोकार। भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम देशों में अपनी सेवाएं और माल बेचती है। कई देशों की कंपनियों से जरूरत पड़ने पर टाई-अप करती रहती है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास कार्यक्रम से भी जुड़ी हुई है। पिछले साल दिसंबर में उसने गांवों में बेहतर जल प्रबंधन की रिमोट तकनीक माइक्रो जय-किसान लांच की थी। कार वगैरह की सुरक्षा से जुड़े उसके उपकरण वेहिकल ब्लैक बॉक्स, माइक्रो वीबीबी को भारत में पेटेंट मिला हुआ है और इसका अंतरराष्ट्रीय पेटेंट पाने के लिए अमेरिका समेत 123 देशों में आवेदन कर रखा है। उसके पास अभी 300 से ज्यादा उत्पाद हैं जिनमें वेब-आधारित सॉफ्टवेयर भी शामिल हैं। कंपनी को उसकी उपलब्धियों के लिए तमाम पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
कंपनी काफी गतिशील है, पारदर्शी है और उसका निदेशक बोर्ड भी काफी दुरुस्त है। डॉ. पी शेखर उसके संस्थापक और चेयरमैन व प्रबंध निदेशक हैं। अगर ऐसी कंपनी के शेयर दबे हुए हैं तो यह बस वक्त की बात है। कंपनी की शुरुआत 1992 में सरकार या अर्द्ध सरकारी संस्थाओं के काम से कमाई के साथ हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे उसका कायाकल्प होता गया। आज सरकार ही नहीं, सीमेंस और रिलायंस एनर्जी जैसी निजी क्षेत्र की तमाम कंपनियां उसकी ग्राहक हैं। उसने अपने उत्पादों के लिए माइक्रो शॉपी के नाम से कई राज्यों में रिटेल आउटलेट भी खोल रखे हैं। माइक्रो रिटेल और माइक्रो सिक्योर सोल्यूशंस उसकी दो सब्सिडियरियां हैं।
कंपनी की इक्विटी 30 सितंबर 2010 को 13.27 करोड़ रुपए की थी जो 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसका 30.95 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है, जबकि एफआईआई ने इसके 5.46 फीसदी और डीआईआई ने 0.03 फीसदी शेयर ले रखे हैं। कंपनी के प्रवर्तक पहले जारी किए वारंटों को शेयरों में बदलने से अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ा रहे हैं। इसके साथ ही उसकी इक्विटी भी बढ़ रही है। जैसे, अक्टूबर माह में ही वह सितंबर के 13.27 करोड़ रुपए से बढ़कर 13.82 करोड़ रुपए हो गई है। मार्च 2010 में यह 10.98 करोड़ और जून 2010 में 12.89 करोड़ रुपए थी। जाहिर है कि प्रवर्तक कामकाज बढ़ने के साथ कंपनी पर अपनी पकड़ ढीली नहीं होने देना चाहते।
very good job…anil ji..hope you will maintain your independence in long run and keep on providing good recommendations…this company will definitely give good returns to investor..