अर्थव्यवस्था के सीने का बोझ हल्का, आगे हैं नीतिगत सुधार: वित्त मंत्री

पहले औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों ने खुशखबरी दी कि नवंबर में यह 5.9 फीसदी बढ़ गया है। फिर दिसंबर की मुद्रास्फीति ने साफ कर दिया कि करीब दो साल से अर्थव्यवस्था के सीने पर धमधम करता बोझ हल्का पड़ गया है। सोमवार को वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक सकल मुद्रास्फीति की दर दिसंबर 2011 में 7.47 फीसदी रही है। इससे पिछले महीने नवबंर में यह 9.11 फीसदी थी और साल भर पहले दिसंबर 2010 में 9.45 फीसदी थी।

दिसंबर 2011 की मुद्रास्फीति पूरे दो साल बाद इतना नीचे आई है। दिसंबर 2009 में इसकी दर 7.15 फीसदी थी। उसके बाद तो यह लगातार ऊपर ही ऊपर भागती रही। मुद्रास्फीति में आई ताजा कमी ने वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को गदगद कर दिया है। उनका मानना है कि ऐसा खाद्य मुद्रास्‍फीति सहित प्राथमिक वस्‍तुओं की कीमतों में गिरावट के कारण संभव हुआ। उन्होंने भरोसा जताया कि मार्च 2012 के अंत में मुद्रास्‍फीति की दर 6 से 7 फीसदी के बीच रहेगी।

हालांकि उनका कहना था कि मैन्यूफैक्चर्ड वस्तुओं की मुद्रास्फीति और ईंधन वर्ग की मुद्रास्फीति में मामूली कमी आई है। इसलिए यह अब भी चिंता का विषय है। बता दें कि दिसंबर 2011 में मैन्यूफैक्चर्ड वस्तुओं की मुद्रास्फीति 7.41 फीसदी है, जबकि नवंबर महीने में यह 7.70 फीसदी थी। थोक मूल्य सूचकांक में मैन्यूफैक्चर्ड वस्तुओं का योगदान 64.97 फीसदी है। इसी तरह मूल्य सूचकांक में 14.91 फीसदी का योगदान रखनेवाले ईधन व बिजली वर्ग की मुद्रास्फीति नवंबर के 15.48 फीसदी से घटकर 14.91 फीसदी पर ही आ सकी है। वित्त मंत्री के बयान में इन्हीं दो आंकड़ों का संदर्भ था।

हां, इतना जरूर है कि दिसंबर में खाद्य मुद्रास्फीति का आंकड़ा घटकर मात्र 0.74 फीसदी पर आ गया है, जबकि महीना भर पहले यह 8.54 फीसदी था। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन व रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन का कहना है, “मौद्रिक नीति तय करते वक्त रिजर्व बैंक को न केवल खाद्य मुद्रास्फीति व सकल मुद्रास्फीति में आई कमी को ध्यान में रखना पड़ेगा, बल्कि उसे मैन्यूफैक्चर्ड वस्तुओं की मुद्रास्फीति पर भी गौर करना पड़ेगा।” इसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि शायद रिजर्व बैंक 24 जनवरी को मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा पेश करते वक्त ब्याज दरों में कमी न करे।

वैसे, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी औद्योगिक उत्पादन के बढ़ने और मुद्रास्फीति के घटने से इतने उत्साहित हैं कि उन्होंने सोमवार को कहा कि यह दिखाता है कि देश के समग्र आर्थिक परिदृश्य में सुधार हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ नीतिगत सुधारों के साथ यह रुझान आनेवाले महीनों में भी जारी रहेगा। वित्त मंत्री ने मीडिया के सामने यह साफ नहीं किया कि ये ‘नीतिगत सुधार’ क्या हो सकते हैं।

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