तय है आखिरी कंटक का भी कटना

फ्रांस के डाउनग्रेड के बाद बाजार में एक बार फिर हल्की-सी सिहरन दौड़ गई। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधरते मूलाधार यूरोपीय कारकों को बेअसर करने के लिए काफी हैं। दिसंबर में मुद्रास्फीति की दर 7.47 फीसदी पर आ चुकी है। यह साफ संकेत इस बात का है कि ब्याज दरों में कटौती अब ज्यादा दूर नहीं है। मुद्रास्फीति की दर पर हमारा अनुमान 7.5 फीसदी से 8 फीसदी का था। वास्तविक आंकड़े का इससे कम रहना बाजार के लिए काफी अच्छा है।

यह अलग बात है कि ट्रेडरों व निवेशकों को अगले कुछ दिनों पर रोलओवर की तकलीफ झेलनी पड़ेगी। ब्याज दरों में कटौती अपरिहार्य है और इससे विकास के पहिया फिर से रफ्तार पकड़ लेगा। मंदड़ियों की चहक को बरकरार रखनेवाला अब सबसे आखिरी व इकलौता मुद्दा है सरकार की निष्क्रियता। मेरा यकीन मानिए, बजट आते-आते यह मुद्दा भी मिट जाएगा।

हालांकि मामूली बहुमत के कारण बजट को लेकर सत्ताधारी पार्टी के हाथ बंधे हुए हैं। ऊपर से राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से बाहर निकलने से उसके विकल्प और सीमित हो जाएंगे। फिर भी वह हरसंभव सुधार लाने की कोशिश करेगी। उसकी यह भी कोशिश होगी जिन विधेयकों को संसद में नहीं रखा जा सका, उन्हे भी किसी तरह आगे बढ़ाया जाए। तमाम जरूरी मसलों पर वह बजट से पहले कोई न कोई पहल करेगी। इसलिए मुझे लगता है कि बजट के पहले माहौल बदल जाएगा और सेंसेक्स 17,000 से 17,500 तक जा सकता है।

गिरावट पर फलने-फूलनेवालों के लिए आशा की एकमात्र किरण यह है कि बजट से ‘कुछ उम्मीद’ से हटकर ‘कोई उम्मीद नहीं’ की स्थिति बन जाए तो सेंसेक्स एक बार फिर गिरकर 16,000 तक जा सकता है। लेकिन इसे मंदी का दौर नहीं कहा जा सकता। यह बाजार की आखिरी नकारात्मक प्रतिक्रिया होगी क्योंकि अगले 12 महीनों तक उसे फिर ऐसा कुछ नहीं मिलेगा। बल्कि ब्याज दरों में क्रमबद्ध रूप से कटौती अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा डाल देगी और सेंसेक्स के 20,000 तक पहुंचने के लिए माकूल हालात बन जाएंगे।

मेरे अनुमान के अनुरूप निफ्टी 4900 के एकदम पास पहुंच गया है। आज भी बढ़त का सिलसिला इसमें ढाई बजे के बाद शुरू हुआ। मैं मानता हूं कि चाहे मंदड़ियों का हमला जारी रहे या बाजार मुद्रास्फीति के गिरने पर ठंडी प्रतिक्रिया दिखाए, इसे 5000 के पार जाना ही जाना है। इसका अब किसी भी सूरत में 4000 तक गिरना असंभव लगता है। हो सकता है कि निफ्टी गिरकर 4750 तक चला जाए। लेकिन ऐसा फ्रांस के डाउनग्रेड के चलते नहीं, बल्कि रोलओवर के चलते होगा।

मैं और आप इसमें कुछ नहीं कर सकते क्योंकि यह हमारे बाजार के सिस्टम की बुनियादी खामी है। पुराने बदला सिस्टम में ऐसी समस्या कभी नहीं आती थी। लेकिन नए डेरिवेटिव सिस्टम की यह प्रमुख समस्या है। इस समस्या को बनाए रखने में बाजार के उस्तादों का भला है। इसलिए वे इसे आंच नहीं आने देते। दूसरे, हमारे यहां आप्शंस में खेलनेवाले मूर्खों की कोई कमी नहीं है।

जीवन-मरण तो एक चक्र है। नए पत्ते का आना, पीले पत्ते का जाना तय है। इसलिए हर जानेवाले को हंसकर विदा करना चाहिए, रोकर नहीं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

1 Comment

  1. sirji, aap har wak kehte he ki mkt up jaye ga, mgr hot anhi he. mkt tab up hoga jab tak hamare desh me corrpt kam nahi hota??. aap jitna bhi kosis kar le mgr mkt up jaldi nahi ho ga. fii apna kaam kar rahe he wo maal bahut buy kar rahe he, hamare yaha investor ko dikai nahi deta. kya kare saab lachar he yaha. aap ka up abhi 2 weeks ke baad hoga.

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