इस देश का हाल अजीब है जहां कश्मीर कैश्मीर हो जाता है और अंतरिक्ष एंट्रिक्स। खैर, अंतरिक्ष व निजी कंपनी देवास के बीच हुए करार के मुद्दे पर अपने खिलाफ की गई कार्रवाई से आहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व चेयरमैन जी माधवन नायर ने इस कदम के पीछे अंतरिक्ष एजेंसी के मौजूदा चेयरमैन के राधाकृष्णन का हाथ होने का आरोप लगाया है।
बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार ने नायर और तीन अन्य प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के खिलाफ अभूतपूर्व अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें अभी या भविष्य में कभी भी किसी सरकारी पद पर काम करने पर रोक लगा दी है। इस कदम से गुस्साए नायर ने आरोप लगाया कि इसके पीछे इसरो के मौजूदा चेयरमैन राधाकृष्णन का हाथ है और वे सरकार को गुमराह करने के लिए ‘निजी एजेंडा’ चला रहे हैं।
नायर ने बेंगलुरु में बताया, ‘‘यह उनका (राधाकृष्णन का) निजी एजेंडा है। यह व्यक्ति कई लोगों को निशाना बनाने पर तुला हुआ है और इस प्रक्रिया में संगठन का सत्यानाश कर रहा है।’’ अंतरिक्ष करार के तहत इसरो ने कथित तौर पर नियमों का उल्लंघन कर एक निजी कंपनी को एस बैंड स्पेक्ट्रम आवंटित किया था।
इस मामले में नायर के अलावा इसरो के पूर्व वैज्ञानिक सचिव के भास्कराचार्य, अंतरिक्ष (इसरो की वाणिज्यिक शाखा) के पूर्व प्रबंध निदेशक के आर श्रीधरमूर्ति और इसरो अंतरिक्ष केंद्र के पूर्व निदेशक के एन शंकर को अंतरिक्ष विभाग ने दंडित किया है। देवास के साथ उस वक्त करार पर हस्ताक्षर किया गया था, जब नायर इसरो के प्रमुख थे। भारत के पहले चांद मिशन चंद्रयान-1 के पीछे भी नायर की अहम भूमिका है। एक उच्चाधिकार समिति (एचपीसी) की रिपोर्ट और इस रिपोर्ट की एक समिति द्वारा पड़ताल किए जाने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।
प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष और देवास के बीच हुए करार के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल के लिए पिछले साल 31 मई को पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त प्रत्युश सिन्हा की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय टीम गठित की थी। नायर ने कहा, ‘‘उन्होंने (राधाकृष्णन) पूरे मुद्दे (देवास करार) पर सरकार को गुमराह किया। इसके पीछे अहम भूमिका निभानेवाले वे मुख्य व्यक्ति हैं। उन्होंने सरकार को गुमराह किया और गलत सूचना दी।’’