बी ग्रुप में चपत तो ए ग्रुप में सदमा!

इसमें कोई दो राय नहीं कि विश्वास के संकट ने बाजार के मिजाज पर चोट की है। इसका बेड़ा एसबीआई के आंकड़ों ने और गरक कर दिया। इस वक्त बाजी मंदड़ियों के हाथ में है और उनका सूत्र है – हर बढ़त पर बेचो। वे अपने मकसद में कामयाब भी हुए जा रहे हैं।

यह कहानी बार-बार दोहराई जा रही है। लकिन बाजार के ऊपर पहुंचने पर मंदड़िए टेक्निकल कॉल्स की वजह से भारी बिकवाली नहीं कर पा रहे हैं। हर बार वे जब भी बाजार को गिरफ्त में लाने की कोशिश करते हैं, बाजार अपने निचले स्तर पर होता है।

इस बार भी मंदड़ियों मे निफ्टी के 5550 के स्तर पर बाजार को गिरफ्त में लिया और पिछली लगभग 150 अंकों की गिरावट उनके पक्ष में रही है। निफ्टी आज 5422 तक पहुंच गया। मंदड़िए संभवतः निफ्टी के 5300 तक जाने तक शॉर्ट करते रहेंगे। लेकिन जब तक वे बाजार को एकदम तोड़ देने के लिए आक्रामक शॉर्ट सौदों पर उतारू होंगे, तब तक उनके सौदों का औसत मूल्य 5400 या इससे नीचे चला जाएगा। यहां पर निफ्टी 200 अंकों के आसपास बढ़ जाएगा और बाजार ने उन्हें बड़ा मुनाफा बटोरने का मौका नहीं देगा।

ऐसा पहले होता रहा है और आगे भी होता रहेगा क्योंकि बाजार अब भी तेजी के दौर में हैं। बाजार की वर्तमान दुर्दशा ज्यादा नहीं खिंचेगी। हालांकि वोल्यूम के अभाव के लिए मई के सेटलमेंट में हालत सुधरने की कोई आशा नहीं है। इस सेटलमेंट के खत्म होने में मात्र छह दिन बचे हैं जिसका इस्तेमाल हमारे बीमार व सड़े हुए डेरिवेटिव सिस्टम के रोलओवर में किया जाएगा।

कल मुंबई के एक ब्रोकर ने खुदकुशी कर ली। दूसरे बहुत-से ब्रोकर हैं जो अपना धंधा बंद कर रहे हैं। यह कैश बाजार में वोल्यूम के अभाव और डेरिवेटिव बाजार की खामियां का असर है। भारतीय बाजार को लेकर बड़े-बडे दावे करने से किसी को नहीं रोका जा सकता। लेकिन हकीकत यही है कि यहां किस्मत चमकाने वालों से ज्यादा बड़ी संख्या उन लोगों की है जो इसके शिकार हुए हैं, जिन्होंने यहां अपनी पूंजी गंवाई है। आप इस सिस्टम के बारे में कुछ नहीं कर सकते, सिवाय इसके कि खुद को डेरिवेटिव बाजार से दूर रखें।

निवेशक हमेशा सोचते हैं कि बी ग्रुप के शेयरों में वे नुकसान में हैं क्योंकि उनके भाव खरीद के स्तर से 20 से 25 फीसदी गिर चुके हैं। लेकिन वास्तव में उस ए ग्रुप के शेयरों ने बी ग्रुप से ज्यादा नुकसान दिया है जो हमेशा तरलता के दम पर ट्रेडरों व निवेशकों के प्रिय बने रहते हैं। मसलन, एसबीआई 3600 से घटकर 2300 रुपए पर आ चुका है। यह गिरावट बी ग्रुप के किसी भी शेयर से ज्यादा है। ऐसे दौर में जो अहम मसला है, वो यह कि हम बाजार को मात कैसे दें, उससे आगे कैसे निकल जाएं।

खैर, अगले छह दिन हमेशा की तरह रोलओवर के आर्बिट्राज में लगे एफआईआई व ब्रोकरों की कमाई के दिन है। इसलिए बाजार में उछल-पुछल, उतार-चढ़ाव, भागमभाग या चंचलता जारी रहेगी। यह बाजार के स्वभाव का हिस्सा है। इसे स्वीकार कीजिए और आगे की रणनीति पर विचार कीजिए।

हर दिन को इससे मत आंकिए कि आपने कितनी फसल काटी, बल्कि यह भी देखिए कि आपने उस दिन कितने नए बीज बोए हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का paid कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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