ठीक साल भर पहले जब पिरामल हेल्थकेयर ने अपनी फार्मा बिजनेस एबॉट लैब्स को बेची थी तो पिरामल समूह के चेयरमैन अजय पिरामल ने बड़े भावुक अंदाज में कहा था कि उन्हें लग रहा है जैसे वे पाल-पोसकर बड़ी की गई बेटी को ससुराल भेज रहे हों। अब उसी तरह की बात इनफोसिस के संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने कही है। उन्होंने कहा है कि इनफोसिस छोड़ना बिल्कुल उसी तरह है जैसे मां-बाप अपनी बेटी की शादी के बाद उसे खुद से दूर कर देते हैं।
कंपनी के शेयरधारकों को लिखे अपने भावुक पत्र में इनफोसिस के संस्थापक और निवर्तमान चेयरमैन मूर्ति ने कहा है, ‘‘इनफोसिस से मेरी विदाई को मैं उसी तरह महसूस कर रहा हूं जैसे किसी की बेटी शादी के बाद अपने मां.बाप का घर छोड़ देती है।’’ पिछले 30 साल में इनफोसिस को इस मुकाम पर पहुंचाने वाले मूर्ति की जगह प्रतिष्ठित बैंकर के वी कामत लेंगे। कामत की नियुक्ति 21 अगस्त से प्रभावी होगी जिसके बाद मूर्ति को कंपनी का ‘चेयरमैन एमिरिटस’ बना दिया जाएगा यानी ताजिंदगी उन्हें इनफोसिस का चेयरमैन होने का गौरव मिलता रहेगा।
मूर्ति ने पत्र में लिखा है कि उन्हें अपने बेटे-बेटी को कई बार यह बताने में मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा कि उन्हें सबसे अधिक इनफोसिस से प्यार है या परिवार से। मूर्ति कहते हैं कि उनके बच्चे आज भी विश्वास नहीं करते कि उनके पिता को सबसे अधिक अपने बच्चों से प्यार है।
उन्होंने लिखा है, ‘‘जब मैं 16 घंटे दफ्तर में बिताता और साल में 330 दिन अपने घर से दूर रहता था तो परिवार के प्रति मेरी प्रतिबद्धता के बारे में मेरे बच्चों के लिए विश्वास करना मुश्किल हो गया था।’’
नारायणमूर्ति ने इस पत्र में यह भी कहा है कि 30 साल के कार्यकाल के दौरान कई बार ऐसा मौका आया जब लगा कि कंपनी में लालफीताशाही हावी है। उन्होंने कहा कि कई बार कंपनी की कारोबारी नीति को जोखिम में डाला गया और प्रमुख पदों पर आसीन शीर्ष अधिकारी बड़े फैसले लेने में विफल रहे। मूर्ति ने स्वीकार किया कि वह अपने कुछ सहयोगियों के कंपनी छोड़ने से दुखी हुए थे। कंपनी के चेयरमैन के रूप में यह उनका आखिरी पत्र है। मूर्ति का यह पत्र कंपनी की 2010-11 की सालाना रिपोर्ट में प्रकाशित हुआ है।