बेहद करीब है अंत अंधी सुरंग का

आखिरकार सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा अभियान चलाती हुई दिख रही है। आदर्श सोसायटी घोटाले से जुड़े लोगों पर छापे मारे जा रहे हैं। पीडीएस में धांधली करनेवालों, कर अपवंचकों और मंत्रालयों को रिश्वत देकर काम करानेवाली कंपनियों के खिलाफ कड़ाई बरती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट और सीएजी भी बहुत सारे मसलों पर साफ-सफाई के लिए आगे बढ़कर पहल कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक सीएजी ने रिलायंस व मुरली देवड़ा तक पर उंगली उठा दी है।

सरकार के एजेंडा में सुधारों की वापसी हो रही है। इसका सबूत है दक्षिण कोरिया की कंपनी पॉस्को की उड़ीसा परियोजना को आखिरकार दस साल बाद मिली पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी। हालांकि हाल ही में रेल ने आयरन ओर पर मालभाड़ा बढ़ा दिया है। लेकिन संकेत यही है कि ममला बनर्जी रेल बजट में मालभाड़ा नहीं बढ़ाएंगी। इससे जहां कंपनियों को फायदा होगा, वहीं मुद्रास्फीति को काबू में रखने में मदद मिलेगी। खाद्य मुद्रास्फीति के प्रभावों से व्यापक अवाम को बचाने के लिए पीडीएस में सुधार को फौरन प्राथमिकता देने की जरूरत है। इससे सत्तारूढ़ कांग्रेस को राजनीतिक लाभ मिलेगा।

इधर विश्व मंच पर यह भी हुआ है कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने जापान और मूडीज ने अमेरिका को डाउनग्रेड कर दिया है। मिस्र के राजनीतिक बवंडर से साफ संकेत दे दिया है कि छोटे-मोटे देशों में निवेश का कोई मतलब नहीं है। इससे दुनिया के निवेशकों का ध्यान अब वापस भारत व चीन जैसे बाजारों पर केंद्रित हो जाएगा। रोजमर्रा के अनुभव से दिख रहा है कि मुद्रास्फीति काबू में आ रही है, हालांकि इसके आंकड़े कुछ हफ्ते बाद आते हैं।

इसलिए मेरा मानना है कि बाजार अब अंतिम तलहटी के एकदम करीब जा पहुंचा है। हैरानी-परेशानी का यह आखिरी दौर है और जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूं कि आखिरी दौर हमेशा तकलीफदेह होता है। ऐसे दौर में निवेशकों को लगता है कि मर गए, अब बाजार से निकल लो और दोबारा कभी इसकी तरफ झांकों भी नहीं। लेकिन यह बस एक दौर है जो बीत जाता है तो समझ में नहीं आता कि हम इतने ज्यादा विचलित क्यों हो गए थे।

यह सच है कि अगले वित्त वर्ष में ऊंची ब्याज दरों के चलते कॉरपोरेट क्षेत्र के लाभ में 22 फीसदी के बजाय ज्यादा से ज्यादा 10-12 फीसदी वृद्धि ही हो सकती है। लेकिन शेयरों के मूल्यों में 40 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है। इसलिए जाहिरा तौर पर बाजार इस वक्त हर मसले पर अतिशय प्रतिक्रिया का शिकार हो गया लगता है।

बीएसई ने सेबी के आदेश को लागू करते हुए डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट लागू कर दिया है। लेकिन एनएसई ने अभी तक इस पर अपना रुख साफ नहीं किया है। हकीकत यह है कि एफ एंड ओ का तकरीबन सारा कारोबार एनएसई में ही होता बै। कुछ समय पहले मीडिया में इस तरह की खबरें आई थीं कि एनएसई फिजिकल सेटलमेंट के बजाय यूके ऑप्शंस की व्यवस्था अपनाएगा। हमें पैनी नजर रखनी होगी कि एनएसई इस सिलसिले में क्या करता है।

अगर फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था लागू हो जाती है तो खुशी की थोड़ी फुहार अपने-आप फूट पड़ेगी और वोल्यूम भी सुधरने लगेगा। भारी मार्जिन व कुछ अन्य दिक्कतों के चलते स्टॉक लेंडिंग एंड बॉरोइंग (एसएलबी) का जरिया गति नहीं भी पकड़ता, तब भी रिटेल निवेशक कैश बाजार में आएंगे और कुछ रकम लेकर डेरिवेटिव सौदों के फिजिकल सेटलमेंट के लिए अपने शेयरों को पेश करने लगेंगे। आर्बिट्राज के वैकल्पिक धंधे की वापसी होगी और बीएसई व एनएसई के भावों के बीच के अंतर पर आर्बिट्राज शुरू हो सकता है। यह हमारे सिस्टम की रीढ़ की हड्डी है।

अंधी सुरंग के मुहाने से रोशनी की किरण झांक रही है। हम बस उस मुहाने तक पहुंचने ही वाले हैं। और, फिर तो उजाला ही उजाला होगा।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

1 Comment

  1. अनिल जी,
    इस धुंध भरे माहौल में जहॉं कुछ स्पष्‍ट नहीं है, भयभीत करने वाले ही घटनाक्रम हि नजर आ रहें है में आप कईयों के आस का साथ बन रहे हो। आपकी सीमेंस कि कॉल इस माहौल में परिपक्व होगी, और इस आवेग मे। ये सच्च में गहन रिसर्च द्वारा ही संभव था, आपको और आपकी सीएनआई तथा अर्थकाम कि टीम को इसके लिये धन्यवाद।
    SLB Mechanism के बारे कुछ लिखे, अन्य कहीं से पडलात से ना तो कुछ हासिल होता है और न इच्छा करती हैं।

    मैं पेशे से एक म्युच्युल फंड वितरक और स्टॉक सलाहकार हूं, तो जब सीमेंस कि बधाई मिली तो लगा असली हकदार तो आप हैं, सूचित करना परमाश्यक है।

    अपने निवेशको तथा अन्य के लिये मै एक मासिक न्यूज लेटर भी चलाता हूं, जो मुख्यत: म्युच्युल फंड और निवेश सलाह पर केन्द्रित होता है, यदि आपकी सहमती हो तो चक्री और चर्चा-ए-खास को प्रकाशित करने कि अनुमती चाहूंगा, ताकि आपके-हमारे कार्य का दायरा भी बढे, और चलाया जा रहा जन-कल्याण कार्यक्रम, धंधे में भी तब्दील हो सके। इस आग्रह को आगे बढाने के आपके फैसले या संबधित अन्य मुद्दो पर आपके जवाब का इंतजार रहेगा।

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