बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) पॉलिसीधारकों के हितों से जुड़े नियमों में बदलाव की तैयारी में जुट गया है। इस सिलसिले में उसने नए संशोधित नियमों का प्रारूप पिछले महीने की 18 तारीख को जारी किया था, जिस पर सभी संबंधित पक्षों से 5 जुलाई तक प्रतिक्रिया व सुझाव मांगे गए थे। अब सारे सुझावों के मिल जाने के बाद इरडा की कोशिश है कि नए नियमों को जल्दी से जल्दी कानूनी स्वरूप दे दिया जाए। हालांकि इसके लिए उसने कोई डेडलाइन नहीं तय की है।
नए नियमों में सबसे खास बात यह है कि बीमा कंपनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके एजेंट या ब्रोकर ने ग्राहक को वही पॉलिसी बेची है जो उसे चाहिए। इसके लिए इरडा ने बाकायदा दो फॉर्म तैयार किए हैं जिन्हें ग्राहक की मौजूदगी में भरने की जिम्मेदारी बीमा कंपनी के एजेंट/ब्रोकर की होगी। इसमें से पहले फॉर्म में संभावित पॉलिसीधारक की मौजूदा स्थिति का विवरण होगा। इसमें उसकी आय-व्यय के साथ रोजगार, परिवार, स्वास्थ्य, बचत, मौजूदा बीमा पॉलिसियों व पेंशन सुविधा तक की स्थिति की जानकारी देनी होगी।
दूसरे फॉर्म में उसकी भावी जरूरतों का लेखाजोखा होगा। अगले दस सालों में उसे घर-मकान, शिक्षा, यात्रा, स्वास्थ्य व बीमा की कैसी-कैसी जरूरतें पड़ेंगी, इसका विवरण देना होगा। यह भी बताना होगा कि उसे कौन-सा बीमा और क्यों चाहिए। यह भी कि वह कितना जोखिम उठाने की स्थिति में है। एजेंट/ब्रोकर को बताना होगा कि वह उसे कोई पॉलिसी क्यों बेच रहा है। दोनों फॉर्मों के अंत में एजेंट/ब्रोकर को अपने हस्ताक्षर के साथ प्रमाणित करना होगा कि वह संभावित पॉलिसीधारक की सारी स्थिति और जरूरतों के मद्देनजर उसे सबसे उपयुक्त बीमा पॉलिसी बेच रहा है। ग्राहक को भी इस फॉर्म पर हस्ताक्षर करना होगा कि बीमा पॉलिसी की सिफारिश उसके द्वारा दी गई सूचना के आधार पर की गई है। उसे पॉलिसी के सारे पहलू समझा दिए गए हैं और उसका मानना है कि पॉलिसी उसकी बीमा जरूरतों और वित्तीय लक्ष्य के अनुरूप है।
अगर ग्राहक अपनी जरूरतों के विश्लेषण के लिए जरूरी जानकारी बीमा एजेंट/ब्रोकर को नहीं देता तो एजेंट/ब्रोकर इसे बाकायदा दर्ज करेगा और इसकी जांच बीमा कंपनी को करनी होगी। बीमा कंपनी को निगरानी करनी होगी कि ग्राहक की जरूरतों का सही विश्लेषण किया गया है या नहीं। इसके लिए एजेंट, ब्रोकर और कॉरपोरेट एजेंट के प्रशिक्षण संबंधी नियमों में भी संशोधन किया जा सकता है।
इरडा के कार्यकारी निदेशक ए गिरिधर का कहना है कि किसी भी अन्य वित्तीय सेवा की तरह बीमा क्षेत्र में भी अनजान अवाम को अनुचित व्यवहार से बचाना सर्वाधिक अहम है। बीमा उद्योग में जिस तरह प्रतिस्पर्धा बढ़ी है और एजेंटों व अन्य मध्यस्थों की भारी जमात है, उनके अपने स्वार्थ हैं, उसमें ग्राहक के साथ अनुचित व्यवहार (मिस-सेलिंग) होने की पूरी गुंजाइश है। इरडा इसीलिए पॉलिसीधारकों के हितों से जुड़े रेगुलेशन में जरूरी व सख्त प्रावधान करना चाहता है। एजेंट और ब्रोकर पर पहले भी शर्त लगाई गई है कि वे ग्राहक के हितों को ध्यान में रखते हुए कोई पॉलिसी बेचेंगे। लेकिन असल में ऐसा नहीं हो पा रहा है। इसलिए नियमों को ज्यादा विषद और स्पष्ट बनाने की जरूरत आ पड़ी है।