छह महीनों से भारतीय शेयर बाज़ार में लगातार बेच रहे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अब खरीद थोड़ा-थोड़ा बढ़ाने लगे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध से लंदन मेटल एक्सचेंज में धातुओं व अन्य जिंसों के दाम तेज़ी से बढ़ गए तो एफपीआई ने मेटल स्टॉक्स में खरीद बढ़ा दी है। साथ ही सुरक्षित क्षेत्र जानकर वे हेल्थकेयर व एफएमसीजी सेक्टर की तरफ झुके हैं। सवाल उठता है कि आगे की राह क्या है? विदेशी निवेशक पहले भी भारतीय शेयर बाज़ार से बेचकर निकले हैं। लेकिन जैसा इस बार बेचा है, वैसा उन्होंने पहले कभी नहीं किया। कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्हें लगता है कि भारत की विकासगाथा की सारी आशा अब खाक में मिल चुकी है? भारत के पास उन्हें गलत साबित करने के लिए बीस साल और हैं। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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