मई में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 11.5% ही बढ़ा

कहां तो विश्लेषक मानकर चल रहे थे कि मई में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 16 फीसदी बढ़ेगा और कहां असल में यह 11.5 फीसदी ही बढ़ा है। यह पिछले सात महीनों का सबसे निचला स्तर है। लेकिन इन आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वित्त सचिव अशोक चावला का कहना है कि किसी को भी यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि औद्योगिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर लंबे समय तक असामान्य दरों पर बढ़ता रहेगा। इसके सामने क्षमता की सीमाएं हैं। चावला मई के आईआईपी के आंकड़ों के जारी होने के बाद दिल्ली में पत्रकारों से बात कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि अब मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र औसत दर से ही विकास करेगा। हालांकि चालू पूरे वित्त वर्ष में इसकी विकास दर दहाई अंक में रहेगी। बता दें कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के उत्पादन का योगदान लगभग 80 फीसदी रहता है। इस क्षेत्र की विकास दर मई माह में 12.3 फीसदी रही है, जबकि पिछले साल मई में यह दर केवल 1.8 फीसदी थी।

एचएसबीसी के अर्थशास्त्री फ्रेडरिक न्यूमान ने हांगकांग में बयान दिया कि औद्योगिक उत्पादन में अपेक्षा से कम वृद्धि मांग के ठंडा पड़ने और क्षमता संबंधी सीमाओं को दर्शाती है। लेकिन रिजर्व बैंक इसके बावजूद 27 जुलाई को मौद्रिक की पहली त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है। यह वृद्धि 0.25 फीसदी की हो सकती है। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने इसी 2 जुलाई से रिवर्स रेपो और रेपो दर को 0.25 फीसदी बढ़ाकर क्रमशः 4 और 5.5 फीसदी कर दिया है।

विश्लेषकों का मानना है कि संभवतः सालाना उत्पादन वृद्धि अपने शिखर पर पहुंच चुकी है जिसे अब धीरे-धीरे नीचे आना है। अभी तक औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि में प्रमुख योगदान पूंजीगत माल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का रहा है। लेकिन मई माह में पूंजीगत माल क्षेत्र में उत्पादन 34.3 फीसदी बढ़ा है जबकि अप्रैल में यह लगभग 70 फीसदी बढ़ा था। इसी तरह कंज्यूमर ड्यूरेबल में वृद्धि दर 23.7 फीसदी रही है, जबकि अप्रैल में यह 32.7 फीसदी दर्ज की गई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *