आइडिया इनसे सस्ता, उनसे तेज

अगर पी/ई अनुपात के लिहाज से देखें तो आइडिया सेलुलर देश की लिस्टेड टेलिकॉम कंपनियों में भारती एयरटेल के बाद सबसे सस्ता शेयर है। 2009-10 में इसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 3.39 रुपए रहा है और इसका शेयर सोमवार को बीएसई में 3.80 फीसदी बढ़कर 58.70 रुपए और एनएसई में 3.45 फीसदी बढ़कर 58.50 रुपए पर बंद हुआ है। इसका पी/ई अनुपात 17.16, भारती एयरटेल का 8.32 और रिलायंस कम्युनिकेशंस का 86.83 है। आइडिया का परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 25.24 फीसदी, भारती एयरटेल का 36.45 फीसदी और रिलायंस कम्युनिकेशंस का 19.86 फीसदी है।

आइडिया सेलुलर आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी है। इसने मई महीने में 14.39 लाख नए ग्राहक जोड़े हैं और इसके कुल सब्सक्राइबरों की संख्या अब 6.67 करोड़ हो गई है। कंपनी की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 46.98 फीसदी है। एफआईआई का हिस्सा 7.40 और डीआईआई (घरेलू संस्थाएं) का हिस्सा 7.51 फीसदी है। लेकिन कंपनी की इक्विटी में एक फीसदी से ज्यादा हिस्सा रखनेवाले बड़े निवेशकों की संख्या आठ है, जिनके पास कुल 37.55 फीसदी शेयर है। इन्हीं में से एक कंपनी है वैगनर लिमिटेड जिसके पास कंपनी के 1.08 फीसदी शेयर हैं। बाजार सूत्रों के मुताबिक वैगनर अपना हिस्सा बढ़ाकर 4 फीसदी करने जा रही है और इसके लिए सारे शेयर वह खुले बाजार से खरीदेगी।

इन्हीं कुछ वजहों से माना जा रहा है कि आइडिया सेलुलर का शेयर अब तेजी के नए दौर में पहुंच सकता है। यह जल्दी ही 59 रुपए से होता हुआ 62 और फिर 69 रुपए तक जा सकता है। बाजार में सब कुछ पहले से निश्चित नहीं रहता। इसलिए इसमें 57.75 रुपए पर स्टॉप लॉस लगाकर चलना चाहिए। एक बात और आइडिया सेलुलर की फंडामेंटल मजबूती के बारे कही जा रही है कि इसके पास 11,000 टेलिकॉम टावर हैं, जिनका मूल्यांकन आरकॉम और जीटीएल इंफ्रा के बीच हुई डील से बढ़ गया है।

अब एक पुराने पसंदीदा शेयर की बात। गैल इंडिया में 13 अप्रैल को जब हमने खरीद की सिफारिश की थी, जब इसका भाव 410.20 रुपए था। कल यह बीएसई में बंद तो हुआ है 473.25 रुपए। लेकिन ऊपर में 492.80 रुपए तक चला गया था। यानी, करीब ढाई महीने में यह निवेशकों को 17 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दे चुका है। इधर, पेट्रोलियम पदार्थों पर मूल्य नियंत्रण हटाने का असर इस पर भी पड़ेगा। खास बात यह है कि मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) ने सब्सिडी बांटने के फॉर्मूले पर इस बार बात नहीं की है। जानकारों का कहना है कि सब्सिडी में इस बांट-बखरे से गैल इंडिया को अलग रखा जा सकता है जिसका उस पर भारी सकारात्मक असर पड़ेगा। इसलिए इसमें बने रहिए। समय के साथ बढ़ेगा फायदा।

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