रिजर्व बैंक की सत्ता कैसे हुई मटियामेट

वो 6 नवंबर 2106 की तारीख थी, जब भारतीय रिजर्व बैंक की स्वायत्तता पर पहला हमला हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संदेश में ऐलान कर दिया कि रात 12 बजे से 500 और 1000 रुपए के नोटों की वैधता खत्म की जा रही है। कहा गया कि इससे देश में कालाधन, आतंकवाद व नकली नोटों जैसी तमाम समस्याएं खत्म हो जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। मगर, बड़ा अपराध यह हुआ कि सरकार ने ऐसा रिजर्व बैंक के कहने पर नहीं, बल्कि खुद अपनी मर्जी से किया और फिर गवर्नर ऊर्जित पटेल पर दबाव बनाकर कानूनी खानापूर्ति कर ली। सुप्रीम कोर्ट में पांच सदस्यों की संविधान पीठ ने 2 जनवरी 2023 को बहुमत से फैसला सुनाया कि गजट नोटिफिकेशन के ज़रिए लागू की गई नोटबंदी की सरकारी प्रक्रिया में कोई खामी नहीं थी। लेकिन पीठ की इकलौती महिला न्यायाधीश बी.वी. नटराजन ने अलग राय रखते हुए कहा कि सरकार द्वारा आरबीआई एक्ट के सेक्शन 26(2) के तहत जारी किया नोटिफिकेशन गैर-कानूनी है। नोटबंदी रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड का नहीं, बल्कि सरकार द्वारा उस पर थोपा गया फैसला था। दो साल झेलने के बाद ऊर्जित पटेल ने 10 दिसंबर 2018 को गर्वनर पद से इस्तीफा दे दिया। अब मंगलवार की दृष्टि…

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